देवघर।
बम्पास टाउन, देवघर स्थित देवसंघ इंस्टीट्यूट ऑफ़ प्रोफेशनल स्टड़ीज एण्ड़ एजुकेशनल रिसर्च फाॅर वुमन(डिपसर) द्वारा 11 सितम्बर 2020 को देश की नई शिक्षा नीति पर एक राष्ट्रीय स्तर के वेबीनार का विधिवत आयोजन किया गया।
भारत सरकार की विकासोन्मुखी पहल जिस पर नई शिक्षा नीति 2020 में वाॅंछित सुधारों हेतु पुनः समीक्षा कार्यक्रमों के आयोजन पर बल दिया जा रहा है। इसी क्रम में देवसंघ इंस्टीट्यूट ऑफ़ प्रोफेशनल स्टड़ीज एण्ड़ एजुकेशनल रिसर्च एवं आल इण्ड़िया एसोसिएशन फाॅर एजुकेशनल रिसर्च द्वारा देश के शिक्षाविदों, शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधानकर्ताओं, प्रशिक्षु शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की प्रतिभागिता को स्पष्ट करने की दृष्टि से आयोजित इस राष्ट्रीय व्याख्यानमाला में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विविध पहलुओं पर ध्यानाकर्षित किया गया।
डिपसर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. नरेन्द्र कुमार शर्मा ने कार्यक्रम के स्वागतीय उद्बोधन में आमंत्रित ख्याति प्राप्त विचार को ‘‘भावमय ज्ञानमय दीजिऐ आशीष अपना, कर सकें ऋषिवत आपकी हम कल्पना’’ पंक्ति समर्पित करते हुऐ सभी का भावभीना स्वागत किया। इस वेबीनार को संस्थान की संचालन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर ड़ाॅ. सुदीप रंजन घोष द्वारा विधिवत शुभारम्भ के अवसर पर कहा कि ब्रह्मचारी नरेन्द्रनाथ, ब्रह्मऋषि सत्यदेव एवं श्रीमत् आचार्य सोैमेन्द्रनाथ ब्रह्यचारीके आदर्षो व प्रेरणा से स्थापित इस डिपसर संस्थान द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय स्तर के वेबीनार में अपने व्याख्या देने वाले सभी प्रबुद्ध शिक्षाविदों द्वारा दिये जाने वाले व्याख्यान भावी शिक्षकों के लिऐ महत्वपूर्ण सिद्व होगें।
वेबीनार को प्रथमतः सिद्वो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के प्रो. कुलपति प्रोफेसर हनुमान प्रसाद शर्मा ने संबोधित करते हुऐ कहा कि हमारे नीति निर्धारकों /निर्माताओं द्वारा निर्मित देश की नवीन शिक्षा नीति ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ देश को विकसित बनाने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पहल है। प्रो. शर्मा ने इस शिक्षा नीति के पाॅंचों महत्वपूर्ण स्तम्भों – सामाजिक न्याय, समानता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकीकरण एवं सांस्कृतिक संरक्षण की विवेचना करते हुऐ कहा कि ये सभी राष्ट्र के सतत विकास के लिए अनिवार्य पहलू है। उन्होने बताया कि इस शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के सार्वभौमिकरण, शिक्षा को व्यवसायोन्मुखी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। प्रो. शर्मा ने बहुविषयात्मक शिक्षा व शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान की महत्ता को बताते हुऐ कहा कि हमारा देश 2030 तक एक समृद्ध राष्ट्र के रुप में नजर आयेगा।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एन.सी.टी.ई.) की पूर्वी क्षेत्रीय समिति के क्षेत्रीय निदेशक तथा एन.सी.टी.ई.मुख्यालय नई दिल्ली के एकेडेमिक प्रभारी ड़ाॅ. विजय कुमार आर. जो कि देश के नीति निर्धारको में सम्मिलित हैं। अपने विषयात्मक व्याख्या में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की विस्तृत व्याख्या एवं भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में ‘‘गुरु’’ शब्द को व्यापको अर्थों में परिभाषित करते हुऐ कहा कि गुरु केवल शिक्षक ही नहीं अपितु सच्चा मित्र ,दार्षनिक व पथ प्रदर्षक होता हेै। डॉ विजय कुमार ने बताया कि इस नवीन शिक्षा नीति में शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन दिखाई देगें। किसी भी शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक निर्धारित की गई है इसी दिशा में आगामी समय में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण हेतु संचालित ड़ी.एल.एड़. पाठ्यक्रम को भी समाप्त किया जाना है। व इसके स्थान पर चार वर्षीय स्नातक स्तर के शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम को ही संचालित किया जाना है। डॉ विजय कुमार ने बताया कि शिक्षक को अधिक कुशल बनाने के दिशा में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा आवश्यक प्रस्ताव भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय को भेज दिये गये है जिसमें शिक्षक को कुशल व तकनीकी दक्षता युक्त संसाधन बनाने के सुझाव सम्मिलित है। डॉ विजय कुमार ने बताया कि जस्टिस वर्मा आयोग की सिफारिषों के आधार पर देश में संचालित अनियमित शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को समाप्त किये जाने व सुव्यवस्थित तरीके से संचालित संस्थानों को आदर्श संस्थानों के रुप में चिन्हित किया जायेगा।
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अजमेर राजस्थान निवासी आई.ई.सी. विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, झारखंड़ सरकार के अरनेस्ट एवं यंग पी एम यू के पूर्व राज्य प्रभारी तथा अन्तर्राष्ट्रीय पदक विजेता भारोत्तोलक सेवा निवृत कर्नल ड़ाॅ. राकेष वर्मा नें अपने ओजस्वी व्याख्या में बताया कि किसी भी राष्ट्र के दो आधार भूत स्तम्भ होते है – सैनिक व शिक्षक । शिक्षक राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा में हो इसके लिए नवीन शिक्षा नीति में शिक्षक व शिक्षा को विशेष प्रभावी बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। कर्नल शर्मा ने कहा कि बालको के सर्वांगिण विकास, स्वास्थ्य की देखभाल, महिला सुरक्षा व नव उत्तेजना तथा बालको के आत्म विश्वास में अभिवृद्वि आदि पर बल देकर विद्यालयी शिक्षा को प्रभावी बनाया जा सकता है इन्ही आयामों द्वारा नव शिक्षितों में मूल्यों एवं संस्कृति के प्रति आदरभाव का संचार किया जा सकता है। कर्नल वर्मा नें वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में प्रयोगषालाओं व पुस्तकालय के घटते उपयोगों पर चिंता जताते हुऐ कहा कि शिक्षा के इन माध्यमों के उपयोग को निरंतर बनाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
आल इंडिया एसोसिएशन फाॅर एजुकेशनल रिसर्च (ए.आई.ए.ई.आर.) के अध्यक्ष तथा अरबिंदो आश्रम के डॉ सुनील बिहारी मोहन्ती द्वारा इस नवीन शिक्षा नीति के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुऐ कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति एक व्यक्ति को तर्कसंगत विचारों युक्त बनाते हुऐ एक आदर्श मानव का निर्माणकरेगी। समानता, साहस व लचीलापन, नैतिक मुल्यों के साथ रचनात्मक कल्पना हमारी शिक्षा की मुख्य विशेषता होगी।
झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय के पूर्व अधिष्ठाता व डिपसर के मेन्टर प्रोफेसर डॉ तापश घोषाल द्वारा इस राष्ट्रीय वेबीनार में विभिन्न शिक्षाविदों द्वारा दिए गये वक्तव्यों पर अधिकृत टिप्पणी करते हुऐ बताया कि उचित एवं प्रभावपूर्ण शिक्षा के लिए संस्थान को उचित वातावरण सहित प्रभावी व्यवस्थायें जुटानी होगी। प्रो. घोषाल ने कहा कि बदलते समय के साथ-साथ शिक्षा में तकनीकी का समावेश आवश्यक है जिससे भावी पीढ़ियाॅं भविष्य की परिस्थितियों के साथ समन्वय स्थापित कर जीवन को उन्नत बना सके व डॉ देश को विकास की राह पर अग्रसर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो।
डिपसर की एसोसिऐट प्रोफेसर व राष्ट्रीय वेबीनार की समन्वयक ड़ाॅ बबीता कुमारी नें संपूर्ण वेबीनार में दिये गये व्याख्यानों का सारांष प्रस्तुत करते हुऐ सभी प्रतिभागियों एवं शिक्षा जगत से जुड़े सभी जन-मानस को नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से देश के विकास में अदा की जाने वाली संभावनाओं से अवगत करवाया।
इस वेबीनार के विधिवत समापन से पूर्व काॅलेज के प्रबंधन समिति के सचिव इंजीनियर असीम कुमार चटर्जी नें सभी विशेष आमंत्रित एवं प्रबुद्ध वक्ताओं को साधुवाद देते हुऐ कहा कि यह वेबीनार नई पीढ़ी व भावी शिक्षकों के लिए अतिमहत्वपूर्ण सिद्ध होगा। असीम चटर्जी ने डिपसर संस्थान के प्रतिष्ठाता आचार्य सोैमेन्द्रनाथ ब्रह्यचारी को श्रद्वांजली देते हुऐ कहा कि महिला शिक्षा के क्षेत्र में आचार्य द्वारा दिये गये योगदानों को सदैव याद किया जाता रहेगा।डिपसर काॅलेज के प्राचार्य डॉ नरेन्द्र कुमार शर्मा ने इस वेबीनार को सभी प्रतिभागियों हेतु उपयोगी बताते हुऐ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रामचरित मानस की पंक्तियाॅं ‘‘ तुलसीदास गुरु करना बिनु, विमल विवेक न होई, बिनु विवेक संसार घोर निध, पार न पावैे कोई प्रस्तुत की।
समसामयिक विषय पर आयोजित इस सफलतम राष्ट्रीय वेबीनार में भारत के 31 राज्यों के 2098 शिक्षकों/प्रतिभागियों के साथ-साथ श्रीलंका, फिलिपिंस, लीबिया, इण्डोनेषिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ग्रेट ब्रिटेन एवं इथोपिया देशों के 52 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इस वेबीनार के अद्वितीय आयोजन के सूत्रधार काॅलेज डिपसर की एसोसिऐट प्रोफेसर डॉ करुणा, डॉ शान्ती कुमारी, डिपसर के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के समन्वयक कुमुद रंजन झा,असिसटेंट प्रोफेसर जाॅली सिन्हा, डॉ कमलेन्द्र कुमार, विकास कुमार, मनोरंजन कुमार तकनीकी प्रभारी निरुपम मल्लिक, जन सम्पर्क अधिकारी बिकास चटर्जी, सुभेष्वर झा, संध्या कुमारी, डॉ नमिता, अदिति कोरबा, अंजु पंड़ित,जया बनर्जी, ज्योतिर्मय, अमित, आषिष कुमार सोम व आर्या कुमारी, बिपासा आदि नें महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस वेबीनार का विधिवत संचालन एसीस्टेंट प्रोफेसर कल्पना कुमारी द्वारा किया गया।