नई दिल्ली।

कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले कुछ महीनों में देश में ऑनलाइन और डिजिटल ट्रांजेक्शन में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसमें NEFT), (RTGS), (IMPS) के साथ यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हाल के दिनों में UPI के जरिए कैश ट्रांसफर और पेमेंट में तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार के नियमों को ताक पर रखते हुए प्राइवेट बैंकों ने अब चुपचाप एक्सट्रा चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, प्राइवेट बैंक पर्सन-टू-पर्सन 20 UPI पेमेंटस के बाद प्रति ट्रांजेक्शन 2.5 से लेकर 5 रुपये तक वसूल रहे हैं। अपने इस कदम का बचाव करते हुए निजी बैंकों ने कहा कि 20 ट्रांजेक्शन की लिमिट के बाद यह चार्ज इसलिए लगाया गया है, ताकि छोटी ट्रांजेक्शंस की संख्या कम हो सके। जबकि, केंद्र सरकार का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी बैंक UPI पेमेंट्स पर किसी तरह का चार्ज नहीं वसूल सकते है। सरकार ने UPI के जरिये पेमेंट फ्री होने की बात कही थी। ऐसे में बैंकों का यह फैसला सरकार के आश्वासन से उलट है। बैंकर्स का कहना है कि ज्यादा ट्रांजेक्शंस से सिस्टम पर लोड बढ़ता है, जिसे कम किए जाने की जरूरत है। उनका कहना है कि UPI के जरिये बड़ी ट्रांजेक्शन ही होनी चाहिए।
वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्राइवेट बैंक नियमों का अपने मुताबिक इस्तेमाल करते हुए यह कह रहे हैं कि पेमेंट्स पर कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा, लेकिन कैश ट्रांसफर पर फीस ली जाएगी। कोरोना के इस समय में UPI के जरिये पेमेंट में हर माह 8% का इजाफा हो रहा है। अनुमान है कि अगस्त में UPI ट्रांजेक्शन की संख्यी 160 करोड़ तक पहुंच सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी UPI अपने शुरुआती दौर में है। ऐसे में यदि बैंकों की ओर से चार्ज की वसूली होती है तो फिर लोग इसके इस्तेमाल को लेकर हतोत्साहित होंगे और कैशलेस इकॉनमी बनाने के प्रयासों को बड़ा झटका लगेगा।