गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश के जनपद गाजियाबाद में एक गांव ऐसा भी है जहां पर रक्षाबंधन के त्योहार नहीं मनाया जाता है. जहाँ रक्षाबंधन के त्योहार पर भाइयों की कलाई सूनी रहती है.इतना ही नहीं, यहां के लोग इस दिन को काला दिन भी मानते हैं. शायद आपको आश्चर्य हो लेकिन 12 वीं सदी से ही इस गाँव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता है.
रक्षाबंधन का त्योहार ना मनाने वाला इस गाँव का नाम सुराना है. बताया जाता है कि इस गांव की बहू तो अपने भाइयों की कलाई पर अपने मायके जाकर राखी बांधती हैं, लेकिन इस गांव की बेटियां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाती हैं. यानी गांव के भाइयों की कलाई इस दिन सूनी रहती है. इतना ही नहीं इस गांव के लोग यदि कहीं दूसरी जगह भी जाकर बस गए हैं. तो वह भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि 12 वीं सदी में रक्षाबंधन के दिन ही मोहम्मद गोरी ने सुराना गांव पर आक्रमण कर तहस-नहस किया था. ग्रामीणों ने बताया कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया है कि इस गांव पर मोहम्मद गोरी ने कई बार आक्रमण किया था. लेकिन जब वह आक्रमण करने आता तो हर बार उसकी सेना अंधी हो जाती थी, और उसे उल्टे पांव वापस लौटना पड़ता था. इसका कारण यह है कि गांव में एक देव रहते थे जो पूरे गांव की सुरक्षा करते थे. लेकिन, रक्षाबंधन के दिन हिंदू धर्म के सभी लोग व देव भी गंगा स्नान करने चले गए थे. यह सूचना गांव के ही एक मुखबिर द्वारा मोहम्मद गौरी को दे दी गई। मोहम्मद गोरी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए गांव पर आक्रमण कर दिया और गांव के सभी लोगों को कुचलवा कर पूरे गांव को तहस-नहस कर दिया था. उस समय इस गांव की केवल एक गर्भवती महिला ही बची थी जो कि अपने मायके अपने भाइयों को राखी बांधने गई हुई थी. तभी से यहां की बेटियां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाती हैं और भाइयों की कलाई सूनी रहती है.
इस घटना के बाद से तभी से रजवंती ने बताया कि तभी से इस गांव के लोग रक्षाबंधन के दिन को बेहद अशुभ मानते हैं और रक्षाबंधन को त्योहार के रूप में नहीं बल्कि इसे काला दिन मानते हैं.