नई दिल्ली।
सावन की अंतिम सोमवारी से पहले देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर और दुमका जिला स्थित बासुकिनाथ मंदिर को खोलने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि मंदिर में ई-दर्शन, दर्शन करना नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट ने ये अहम टिप्पणी झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर को लेकर की है.
31 जुलाई, 2020 यानि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सांसद डॉ. निशिकांत दुबे की याचिका पर यह आदेश दिया है. इसके पहले झारखंड हाइकोर्ट ने सावन के दौरान इन दोनों मंदिरों में सार्वजनिक पूजा की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था. गोड्डा सांसद डॉ. दुबे की ओर से बाबा बैद्यनाथ मंदिर को खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई.
गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई थी और इस वाद के बाकी रेस्पोंडेंट्स को नोटिस तामिला करने का निर्देश कोर्ट ने दिया और अपना-अपना पक्ष रखने को कहा. इस मामले की अंतिम सुनवाई 31 जुलाई 2020 को निर्धारित की गयी थी. सरकार का पक्ष सुनने के बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया.
सांसद डॉ. निशिकांत दुबे की ओर से अधिवक्ता समीर मलिक और प्रशांत ने दलीलें पेश कीं, जबकि रेस्पोंडेंट की ओर से तुषार मेहता, श्रद्धा देशमुख समेत चार सरकारी अधिवक्ताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा समेत तीन न्यायाधीशों ने की.
उल्लेखनीय है कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए खुलवाने के लिए दाखिल याचिका झारखंड हाइकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गयी थी, जिसके विरुद्ध डॉ निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की थी.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भक्तों को अब तक केवल ई-दर्शन के जरिए दर्शन करने की इजाजत है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि कोरोना संकट काल में भीड़ न लगे, इसके लिए भक्तों के लिए मंदिर में सीमित संख्या में दर्शन करने की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है?