रांची।
कांवर यात्रा सहित बाबा बैद्यनाथ मंदिर व बासुकीनाथ मंदिर को खोलने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट 3 जुलाई को फैसला सुनाएगा। मंगलवार को सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
देवघर में श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने प्रार्थी, राज्य सरकार और बाबा मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के जवाब को सुनने के बाद चीफ जस्टिस की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने अपना फैसला 3 जुलाई, 2020 तक के लिए सुरक्षित रख लिया. अब मामले की अगली सुनवाई अब 3 जुलाई, 2020 को होगी.
इससे पहले 26 जून, 2020 को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हुई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने बाबाधाम प्रबंधन समिति की अध्यक्ष सह देवघर के उपायुक्त को नोटिस जारी कर श्रावणी मेले के आयोजन की संभावनाओं की जानकारी देने को कहा गया था.
मालूम हो कि सांसद निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर कर श्रावणी मेला के आयोजन के लिए हेमंत सरकार को आदेश देने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कोविड-19 के संक्रमण की आशंका के कारण प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्रावणी मेला का आयोजन किया जाना चाहिए. प्रार्थी का कहना है कि श्रावणी मेला से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.
वादी का कहना था कि कुछ शर्तों के साथ श्रावणी मेले का आयोजन किया जाए। जबकि सरकार का कहना था कि बड़े पैमाने पर होने वाले इस आयोजन में सामुदायिक रूप से कोरोनावायरस के फैलने का खतरा है। इधर, इस मामले पर बिहार सरकार ने कहा कि यह पूरी तरह से झारखंड सरकार का मामला है। राज्य सरकार ही बताए कि किन शर्तों के साथ कांवर यात्रा सहित अन्य आयोजन की छूट दी सकती है।
राज्य में 31 जुलाई तक धार्मिक पूजा व मेले के आयोजन की अनुमति नहीं
कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर राज्य सरकार ने धार्मिक पूजा व मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी है. इसी क्रम में बाबाधाम और बासुकिनाथ में भी श्रावणी मेले के आयोजन पर अनुमति राज्य सरकार द्वारा नहीं दी गयी है. कुछ शर्तों के साथ बाबा बैद्यनाथ व बाबा बासुकीनाथ मंदिर खोलने और श्रावणी मेला आयोजन को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर की गयी है.