देवघर।
देवघर जिला के पालोजोरी प्रखंड के सगरभंगा गांव में रहने वाली सलिता देवी एवं कपूरा देवी ने तालाबंदी के दौरान गांव की आजीविका कृषक मित्र आशा देवी के मदद से कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए जैविक विधि से मिर्च की खेती की एवं विगत दो महीनों में इन्होंने लगभग एक क्विंटल मिर्च का उत्पादनघ् किया। इससे इन्हें लगभग 30,000 रूपये की आमदनी हुई और उस पैसे से ये अपने घर-परिवार को अच्छी तरह चला पा रही हैं। देवघर डीसी नैंसी सहाय ने इन महिलाओं की मेहनत को सलाम किया है.
उपायुक्त नैंसी सहाय के द्वारा जानकारी दी गयी कि वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु लागू तालाबंदी के दौरान आर्थिक कामकाज एवं बाजार बंद हो जाने के कारण गांव के गरीब तबकों को खासतौर पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर अत्यंत ही बुरा असर पड़ा है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा जेएसएलपीएस के माध्यम से सखी मंडल की महिलाओं को स्वरोजगार करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है, ताकि वे अपने घरों में हीं सुरक्षित रहते हुए स्वरोजगार कर कुछ आमदनी कर सकें। इसी कड़ी में देवघर जिला के पालोजोरी प्रखंड के सगरभंगा गांव में रहने वाली सलिता देवी एवं कपूरा देवी ने तालाबंदी के दौरान गांव की आजीविका कृषक मित्र आशा देवी के मदद से कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए जैविक विधि से मिर्च की खेती की एवं विगत दो महीनों में इन्होंने लगभग एक क्विंटल मिर्च का उत्पादन किया। इससे इन्हें लगभग 30,000 रूपये की आमदनी हुई और उस पैसे से ये अपने घर-परिवार को अच्छी तरह चला पा रही हैं। सिर्फ इतना हीं नहीं ये मिर्च के अलावा अपने खेतों में अन्य साग-सब्जियों की भी खेती कर रही हैं एवं दूसरे महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है। लॉक डाउन के वजह से अपने घर के बिगड़ते हालात को बेहतर करने के जुनून ने इन्हें आत्मनिर्भर बनाया एवं अब ये अपने परिवार का सहारा बन रही हैं।
सफल किसान बनने की बात पर दोनों महिलाओं ने कहा कि ''पहले कभी खेती के बारे में नहीं सोचती थी, लेकिन परिस्थितिवश जब काम करने की नौबत आयी तो मन लगाकर घर पर ही मिर्च की खेती की, जिसके फलस्वरूप आज अपने खेतों में उपजाये मिर्च को बेचकर मैं स्वयं पैसे कमा रही हूँ और अपने घर में सहयोग कर रही हूँ।''
■ उपायुक्त ने की जिलावासियों से अपील
इस दिशा में उपायुक्त नैंसी सहाय ने आग्रह करते हुए कहा है कि सभी नागरिक एवं हर वर्ग के लोग जैसे बच्चे-बड़े, महिलायें -पुरुष, युवा-बुजुर्ग छोटे से बड़े स्तर पर जैविक कृषि-बागवानी से जुड़कर एक कदम स्वच्छता और हरियाली की ओर बढ़ा सकते हैं। इसके अलावे उन्होंने कहा कि आज जहाँ स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद दीदी की आर्थिक स्थिति सिर्फ बेहतर हीं नही हुई है बल्कि वे अपने साथ-साथ अपने परिवार के लोगों के भी जीवनस्तर में सुधार लायी हैं और इसका जीता-जागता उदाहरण ये दीदी हैं, जो कि अपने मेहनत, लग्न और सफलता से अन्य सभी महिलाओं को भी प्रेरित करने का काम किया है।