देवघर।
मां के लिए कोई एक दिन नहीं होता है, वो अलग बात है कि एक खास दिन को मां के नाम निश्चित कर दिया गया है।
ज्यादातर देशों में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। लेकिन कई देशों में इस खास डे को अलग-अलग तारीखों पर भी मनाया जाता है।भारत में मई माह के दूसरे रविवार तिथि को मदर्स डे मनाया जाता है.
मदर्स डे लोगों को अपनी भावनाओं को जाहिर करने का मौका देता है।
कब और क्यों हुई मदर्स डे की शुरुआत
♦ मदर्स डे की तिथि को लेकर दुनियाभर में हमेशा ही मतभेद रहा है. मदर्स डे बोलीविया में 27 मई को मनाया जाता है. इसकी वजह 27 मई, 1812 की क्रांति है, जिसमें स्पेन की सेना ने बॉलीविन महिलाओं की नृसंश हत्या कर दी थी, जो आजादी के लिए लड़ रही थीं. उन महिलाओं के सम्मान में 27 मई को 'मदर्स डे' मनाया जाता है.
♦मदर्स डे को लेकर कई मान्यताएं हैं। कुछ का मानना है कि मदर्स डे के इस खास दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वर्जिनिया में एना जार्विस नाम की महिला ने मदर्स डे की शुरुआत की। कहा जाता है कि एना अपनी मां से बहुत प्यार करती थी और उनसे बहुत प्रेरित थी। उन्होंने कभी शादी नहीं की और मां का निधन हो जाने के बाद उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए इस खास दिन की शुरुआत की। ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को वर्जिन मेरी का दिन मानते हैं। यूरोप और ब्रिटेन में मदरिंग संडे भी मनाया जाता है।
♦इससे जुड़ी एक और कहानी है जिसके अनुसार, मदर्स डे की शुरुआत ग्रीस से हुई थी। ग्रीस के लोग अपनी मां का बहुत सम्मान करते हैं। इसलिए वो इस दिन उनकी पूजा करते थे। मान्यताओं के अनुसार, स्यबेसे ग्रीक देवताओं की माता थीं और मदर्स डे पर लोग उनकी पूजा करते थे। ग्रीस के लोग अपनी मां के प्रति स्नेह और सम्मान के लिए इस पर्व को हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाते हैं ।