रांची।
झारखंड में नई सरकार के आते ही पिछली सरकार में हुई गड़बड़ियों के खुलासे सामने आने लगे हैं. राज्य में पथ निर्माण, भवन निर्माण और ग्रामीण विकास विभाग में बड़े टेंडर देने में गड़बड घोटाला सामने आया है. मामले में पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख और कुछ कनीय अभियंताओं को सस्पेंड भी कर दिया गया है.
घोटाले का पर्दाफाश के लिए सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच कमिटी का गठन किया है. यह कमिटी एक अप्रैल 2016 के बाद तीनों विभागों में दिये गये बड़े टेंडरों की जांच करेगी.
मुख्य सचिव डी.के तिवारी ने बताया कि पहले निगरानी विभाग के तकनीकी परिक्षण कोषांग के द्वारा शेड्यूल ऑफ रेट बनाया जाता था. लेकिन बाद में ये जिम्मा पथ निर्माण विभाग को दे दिया गया. जांच में पाया गया है कि कुछ विभागों के शेड्यूल ऑफ रेट में कई गड़बड़ियां हैं. जैसे- किसी विभाग में एक काम के लिए जितने रुपये दिये गये, दूसरे विभाग में उसी काम के लिए कई गुना ज्यादा रुपये दिये गये. दूसरा मामला टेंडर देने में सामने आया है. जिस व्यक्ति या संस्था को टेंडर दिया गया. जब उसपर काम में लापरवाही को लेकर कार्रवाई शुरू हुई, तो उन्होंने कहा कि ये निविदा तो उन्हें मिली ही नहीं. जबकि उन्हें रुपयों के भी भुगतान हो गये. यानी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टेंडर देने का काम हुआ है. ऐसा एक-दो बड़े टेंडर में सामने आया है. इसलिए सरकार ने सभी बड़े टेंडरों की जांच जरूरी समझा है.
मुख्य सचिव के मुताबिक एक अप्रैल 2016 यानी जब से शेड्यूल ऑफ रेट का जिम्मा पथ निर्माण विभाग को दिया गया, तब से पथ निर्माण, भवन निर्माण और ग्रामीण विकास विभाग के सभी बड़े टेंडरों के सैंपल जांच का आदेश जांच कमिटी को दिया गया है. सैंपल जांच में बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद बड़ी जांच का फैसला लिया जा सकता है.
टेंडर में गड़बड़ी मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मामलों की जांच हो रही है. सिस्टम अपना काम कर रहा है.