मधुपुर।
2019 के विधानसभा चुनाव में मधुपुर का मुकाबला इस बार काफी दिलचस्प होने वाला है. यहां सीटिंग विधायक भाजपा के राज पलिवार जहां तीसरी बार जीत का परचम लहराने को मैदान में हैं, वहीं भाजपा के विजयी रथ को रोकने के लिए झामुमो पूरी ताकत झोंक रहा है. लेकिन इस बार के चुनाव में एक अलग फैक्टर हावी है, जो इन दोनों की जीत के मंसूबे पर पानी फेरने को मैदान में उतरा है. भाजपा को जहां अपने ही सहयोगी दल आजसू से परेशानी है वहीं झामुमो को झाविमो से. इन दोनों दलों के अलावा एक और दल है एआइएमआइएम के प्रत्याशी, जो जीत-हार के समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं. कुल मिलाकर इस बार का चुनाव काफी कड़े टक्कर वाला होगा.
आजसू, झाविमो, एआइएमआइएम व बसपा बिगाड़ेगा खेल
मधुपुर चुनाव में सभी दिग्गज प्रत्याशी सकते में हैं. हालांकि अपने पक्ष में जीत का समीकरण बनाने के लिए सभी पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन 2019 के चुनाव में मधुपुर सीट पर आजसू, झाविमो, एआइएमआइएम व बसपा इन लोगों के जीत के समीकरण को ध्वस्त करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है. इस तरह ये दल भाजपा और झामुमो की जीत के खेल को बिगाड़ने को दमखम लगा रहे हैं.
आजसू की नहीं रही है मधुपुर में जमीन
पूर्व के चुनाव को देखें तो आजसू की मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में जमीन नहीं रही है. हर बार आजसू एनडीए गठबंधन के कारण प्रत्याशी नहीं देता था. लेकिन इस बार गठबंधन टूट गया है, आजसू ने गंगा नारायण को मैदान में उतार दिया है. आजसू ने ऐसे प्रत्याशी पर दाव खेला है जिन्हें 2009 के विधानसभा चुनाव में महज 2605 वोट ही मिला था. अब देखना है कि वे इस चुनाव में आजसू की वोट प्रतिशत में कितना इजाफा कर सकते हैं.
झाविमो प्रत्याशी सहीम खान का रहा है दबदबा
वहीं झाविमो प्रत्याशी सहीम खान की बात करें तो वे 2005 में बसपा से लड़े और उन्हें 25,506 वोट मिला था. जबकि 2014 में झाविमो की टिकट पर लड़े हैं, इस बार भी उन्हें 25,756 वोट मिले. दोनों ही चुनाव में वे तीसरे नंबर पर रहे. हार के बाद भी लगातार संघर्ष किया है. इस बार भी वे झाविमो से लड़ रहे हैं. वे अकेले ऐसे प्रत्याशी हैं जो जीत-हार का समीकरण बनाने-बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं.
हाजी अंतिम बार मांग रहे हैं मौका,वहीं राज पलिवार को है जीत का भरोसा
इस चुनाव में झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी जहां लोगों से यह कह कर वोट अपील कर रहे हैं कि जनता उन्हें अंतिम बार मौका दे. वहीं राज पलिवार अपनी रणनीति से उन्हें कोई मौका नहीं देना चाहते हैं. पलिवार को अपनी जीत पर भरोसा है. लेकिन झामुमो फिर से सीट अपनी झोली में करने को बेताब है. अपनी-अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए झाविमो, आजसू और बसपा का तोड़ खोज रहे हैं. अब देखना यह होगा कि आखिर झाविमो, आजसू व बसपा के चक्रव्यूह को भेद कर आखिर कौन मधुपुर फतह करेगा. फिलहाल, संशय का बादल छाया है, 23 को जनता का फैसला बरसेगा और फैसला हो जायेगा.