जरमुंडी।
दुमका का जरमुंडी विधानसभा में बाहरी खिलाड़ियों की फौज खड़ी है। इनमें से कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिसकी टीम जरमुंडी विधानसभा से ताल्लुकात रखने में नगण्य हैं। जो भी सहयोगी हैं वो बिहार, यूपी और देवघर जिला से संबंध रखते हैं। खबर यह भी है कि देवघर में बैठकर पूरा मैनेजमेंट संचालित किया जा रहा है।
ये एक ऐसे रसूखदार हैं जिनका नाम झारखंड के बड़े शख्सियतों में गिना जाता है। बिहार, यूपी, दिल्ली, झारखंड में काफी लंबा चौड़ा कारोबार फैलाये हुए हैं। झारखंड में एक पार्टी के शीर्ष पद पर आसीन भी हैं। पहली बार मैदान में कूदने वाले इस शख्सियत को पूरी उम्मीद भी है अपनी रणनीति से जरमुंडी में 70 हजार मतदाताओं का समर्थन मिलेगा। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि इनकी बोरो टीम कितनी कारगर साबित होती है। क्या जरमुंडी के पुराने धुरंधरों को टक्कर दे पाएंगे ये चुनाव के बाद ही सामने आएगा।
हम बात कर रहे हैं जरमुंडी विधानसभा और लोक जनशक्ति पार्टी की. जिसने इस बार अपने ही गठबंधन के प्रत्याशी के खिलाफ खिलाड़ियों को मैदान में उतारा है। बगावत की बात तो अबतक सामने आई थी, ये गठबंधन कैसा कि सिक्के का एक पहलू ही दूसरे पहलू के खिलाफ लड़ रहा। आज अपने ही सिक्के दूसरे पहलू से लड़ने के लिए पूरी बिसात बिछा दी है। बात जरमुंडी की करें तो यहां से खुद प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र प्रधान लड़ रहे हैं।
पहली बार जरमुंडी में कदम रखने के कारण समर्थकों की कमी तो खलेगी ही। अब उस कमी को पूरा करने के लिए बाहर से भी आदमी मंगाना पड़ा। अभी झारखंड में एडमिशन ही कराया है और पास होने की जुगत में लग गई है लोजपा। यूं कहें तो संताल की चुनावी रणनीति का संचालन देवघर से किया जा रहा है। बिहार, यूपी से भी लोगों को चुनाव में सहयोग के लिए बोरो टीम की तर्ज पर मंगाए गए हैं। जब जरमुंडी से वीरेंद्र प्रधान नामांकन करने पहुंचे थे तो उनके साथ ज्यादातर लोग बिहार, यूपी और देवघर के ही थे।
देवघर विधानसभा से बजरंगी महथा चुनाव लड़ रहे हैं लोजपा की टिकट पर। विरोधियों को शिकस्त देने के लिए बजाप्ता कई कम्प्यूटर एक्सपर्ट को बिठा रखा है, सोशल मीडिया के लिए स्लोगन व डिजाइन बन रहे हैं। अब देखना यह है कि पार्टी की बोरो टीम कितना सफल होती है अपनी ही टीम के खिलाड़ी को शिकस्त देने में। लोजपा के खिलाड़ी जरमुंडी में पहली बार मैदान में उतरे हैं।