spot_img

अगर पशुओं में है LSD बीमारी तो डरें नहीं, जानिए कैसे करें बचाव ….


देवघर।

जिला पशाुपालन पदाधिकारी, देवघर एवं नोडल पदाधिकारी, N.A.D.C.P (राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम) देवघर के द्वारा देवघर जिले में पशुओं में फैले हुए बिमारी (LSD) से बचाव व जागरूक करने से जुड़ी जानकारी देवघर जिलावासियों को दी गयी है।  

ढेलेदार त्वचा रोग (LSD) पशुओं का एक संक्रामक वायरल रोग है। यह मच्छरों, आर्थाेंपोड, टिक्स (चमोकन) वैक्टर से संक्रमित होने वाली बीमारी है। 
इसके लक्षण, बचाव एवं उपचार निम्न है।

बीकानेर

लक्षण:- पूरे शरीर में त्वचा पर कठोर, गोल त्वचीय नोड्यूल उभर आता है। ये नोड्यूल गोल, उभरे हुए होते हैं और इसमें त्वचा, उप-त्वचीय ऊतक और कभी-कभी मांसपेशियां शामिल होती हैं। इस रोग में मुंह, ग्रसनी और श्वसन तंत्र में घाव शामिल हो सकते हैं, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स, अंगों में सूजन, दूध उत्पादन में कमी, गर्भपात तथा बांझपन आदि होना देखा जा सकता है। 

बचाव:- बीमार पशुओं को तुरन्त ही स्वस्थ पशुओं से अलग रखे तथा उसे फार्म से अलग रखे। स्वस्थ्य पशुओं को बचाव हेतु टिक्स (चमोकन) मारक दवा का प्रयोग किया जाना चाहिए। बिमार पशुओं को पशु मेला या प्रदर्शनी आदि में शामिल नहीं करना चाहिए। जहरीले गांठदार चर्म रोग से पीड़ित किसी भी जानवर को अप्रभावित जोत या खेत में पेश नहीं करना चाहिए। प्रभावित जानवर को आम चराई से बचने के लिए अप्रभावित जानवरों से अलग रखना चाहिए। इस बीमारी के बचाव का कोई टिकौषधि उपलब्ध नहीं है। पशुशाला की साफ-सफाई भी बचाव का एक तरीका है। 

उपचार:- प्रभावित जानवरों का उपचार पशुचिकित्सकों के परामर्ष से लक्षणात्मक उपचार किया जा सकता है। द्वितीयक संक्रमण की जाँच के लिए 5-7 दिनों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है ताकि द्वितीयक जीवाणु संक्रमण को रोका जा सके। गांठदार चर्म रोग की स्थिति में एंटी-हिस्टामाइन एवं एंटी इंफ्लामेट्री दवाओं का प्रयोग भी किया जा सकता है। पाइरेक्सिया के मामले में, पेरासिटामोल का उपयोग किया जा सकता है। संक्रमित जानवरों के लिए तरल भोज्य पदार्थ, मुलायम चारा और रसीला चारा खिलाने की सिफारिश की जाती है।

brewbakes

एलएसडी से प्रभावित मृत जानवरों के शव निपटान मामलों में, जानवरों के शवों को गहराई में दफन करना चाहिए। ऐसे इस रोग में पशु मृत्यु दर बहुत कम होता है। ऐसे में पशुपालन विभाग द्वारा आप सभी पशुपालकों से आग्रह किया गया है कि पशुओं के इस रोग से भयभीत न हो एवं उपर्युक्त तरीकों से पशुओं का उपचार एवं बचाव करें। विशेष परिस्थिति में निकटतम पशु चिकित्सकों या चिकित्सालय से संपर्क करें।

इस रोग की विशेष जानकारी के लिए नोडल पदाधिकारी, (राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम) डा0 सुनील तिवारी से (मोबाईल नंम्बर- 9431190446) या जिला पशुपालन कार्यालय, देवघर से सम्पर्क कर सकते हैं।


नमन

Leave a Reply

Hot Topics

Related Articles

Don`t copy text!