संथाल परगना।
झारखंड जब से बना है कई सरकारें आईं और गईं। लेकिन यहां के ऐसे कई मुद्दे है जिसपर कभी गम्भीरता से नही अमल किया गया। ये मुद्दे संताल परगना से ही जुड़े हैं। इन समस्याओं से पूरा देश परेशान है।
भोले-भाले आदिवासी बहुल यह इलाका खनिजों से आकंठ डूबा हुआ है। लेकिन इसकी तस्करी पर आजतक लगाम नही लगाया जा सका। इसी इलाके से जाली नोट, चोरी का सोना, चोरी का मोबाइल, कोयला, मवेशी, वन्य औषधि, आदि की तस्करी होती है। इसी इलाके में हजारों बांग्लादेशी घुसपैठ कर बस चुके हैं। कई बार जाली पासपोर्ट बनने का मामला सामने आया कोई कार्रवाई नही हुई। यहां इन घुसपैठियों को बसा कर आजतक वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा।
हाल में ही सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में इस मामले को उठाया कि यहां के घुसपैठियों को वोट देने का अधिकार नही मिलना चाहिए। ऐसे कई बार मामले उठे लेकिन किसी की एक न चली। आज तक कुछ नही हो पाया।
देश में बदनाम है साहिबगंज और जामताड़ा
पूरे देश में अवैध तस्करी और चोरी के मामले में साहिबगंज बदनाम है। वहीं साइबर क्राइम के लिए जामताड़ा जिला की छवि सही नही। पूरे देश की पुलिस सालों भर यहां आती रहती है। लेकिन आजतक किसी की सरकार ने इसे गंभीरता से नही लिया। कोई ठोस कानून नही बनाये गए। इन मामलों से पूरा देश परेशान है लेकिन न केंद्र न राज्य सरकार को कोई फर्क पड़ा।
गायब हो रहे स्थानीय मुद्दे
आज ये हाल है कि शीर्ष के नेता भी चुनाव प्रचार में आ रहे हैं तो वे भी स्थानीय मुद्दों को दरकिनार कर रहे हैं और राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने में लगे हैं। यहां के अस्पतालों में डॉक्टर कम हैं, स्कूलों में शिक्षक कम हैं, युवा बेरोजगार हो रहे हैं, कई सरकारी भवन बर्बाद हो रहे, लॉटरी का धंधा युवाओं को बर्बाद कर रहा, क्राइम बढ़ रहे, नक्सलवाद पर लगाम नही लग पाया, घुसपैठ, जाली नोट का कारोबार, अवैध कोयला तस्करी, मोबाइल तस्करी, सोना तस्करी, मवेशी तस्करी, ऐसे कई मुद्दे हैं जो झारखंड को खोखला बना रहे।
इन मुद्दों से किसी को कोई लेना देना नही रहा। चुनाव आ गया आज भी ये मुद्दे हवा में कौंध रहे आखिर क्यों?