दुमका।
विधानसभा चुनाव 2019 में जरमुंडी इस बार किसी के लिए आसान नही दिख रहा। खासकर झारखंड में बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा के लिए भी यहां की राह आसान नही है। क्योंकि इनके ही दो नेता बगावत पर उतर आए हैं। एक सीताराम पाठक और दूसरे संजयानंद झा। इन दोनो ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
सीताराम लंबे समय से भाजपा के समर्पित नेता थे और संजयानंद झा ने कुछ वर्ष पहले ही भाजपा की सदस्यता ली थी। वर्षों की मेहनत को जाया नही करना चाह रहे ये दोनों। दनादन दोनों इलाके में घूम रहे, दिन रात एक किये हुए हैं। भाजपा के लिए ये सरदर्द से कम नही है। कहावत भी है दुश्मन से ज्यादा खतरनाक बागी दोस्त होते हैं। कहीं यही जुमला हावी न हो जाय। इनदोनों की घोषणा से भाजपा सहित अन्य पार्टी को वोटों का विखराव परेशान कर रहा है।
जरमुंडी विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी सदस्य वोटों के विखराव के कहीं सबब न बन जाएं। हालांकि कोई चुनाव हारने के लिए मैदान में नही उतरता, सबको यही उम्मीद होती है कि वो चुनाव जीत जाएंगे। भाजपा से पहले बगावत कर सीताराम पाठक ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। अब पिछली बार झाविमो से विछुब्ध होकर भाजपा में शामिल होनेवाले संजयानंद झा ने भाजपा से भी बगावत कर ली है। अब वे बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। कुल दो लोग भाजपा से छिटक चुके हैं। इस विखराव से उधर सिटिंग विधायक बादल पत्रलेख की भी परेशानी बढ़ गई है। अब कौन जनता किसे पसंद करती है इसका चयन वो चुनाव के दिन ही करेगी। हालांकि, जरमुंडी विधानसभा वोटों के विखराव का शिकार शुरू से रहा है।