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झामुमो का किला भेदने के लिए दिन रात एक कर रही भाजपा,खोई हुई सीट वापस लाने में जुटा है झामुमो

By: N7India.Com (Desk)

दुमका।

दुमका और जामा विधानसभा झामुमो का गढ़ रहा है। हालांकि 2014 में भाजपा की लुइस मरांडी ने इस सीट को हथिया लिया था। अब फिर इस सीट को अपने कब्जे में करने के लिए झामुमो पूरा दम खम लगाए हुए है।

एक बात यह भी है कि झामुमो ने दुमका से अपने प्रत्याशी की घोषणा नही की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बरहेट के साथ साथ दुमका से भी हेमंत सोरेन चुनाव लड़ सकते है। अगर ऐसा होता है तो वाकई दुमका का चुनाव इस बार भी दिलचस्प होगा। क्योंकि ज्यादा तो नही कुछ हजार वोट ज्यादा लाकर ही लुइस ने इस सीट को हथिआया था। चुनाव में एक एक वोट की कीमत होती है। इसी मसले को सुलझा कर इस बार पटकनी देने के लिए झामुमो पूरा दमखम लगाए हुए है। उधर भाजपा की लुइस मरांडी अपनी जगह बरकरार रखने के लिए पूरी कोशिश में जुटी हैं। क्योंकि 2014 में जीत का अंतर काफी कम था। उधर दुमका की जनता किसे पसंद कर रही है यह तो वोट के बाद मतगणना के दिन ही पता चलेगा। लेकिन इलाके में चुनाव की चर्चा का बाजार गर्म है।

जामा पर भाजपा की विशेष नजर

अभी जामा की सिटिंग विधायक झामुमो सुप्रीमों शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन हैं। जिनसे टक्कर लेने के लिए भाजपा ने सुरेश मुर्मू को चुनाव में उतारा है। सरलता के लिए प्रख्यात और सामाजिक कार्यों में ज्यादा दिलचस्पी रखने वाले सुरेश दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा को यहां बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। दो बार से सीता सोरेन ही यहां की विधायक हैं। 2014, 2009 में सीता सोरेन ने चुनाव जीता है। एक बार 2005 मे सुनील सोरेन ने झामुमो को हराया था। 

जरमुंडी भी आसान नही

जरमुंडी हमेशा से वोटों के विखराव के लिए प्रख्यात रहा है। इसी विखराव में कई लोग चुनाव जीत गए तो कई हार गए। कई पार्टियों का सफर तय कर चुके और दो बार विधायक रहे देवेन्द्र कुंवर पर इसबार भाजपा ने बाजी खेली है। लेकिन सरलता और सौम्यता के लिए प्रख्यात हुए और इसी के बदौलत चुनाव जीते बादल पत्रलेख इसबार फिर मैदान में हैं। फेसबुक व्हाट्सअप पर साय साय कर दौड़ने वाले विधायक बादल ने कम समय मे अपनी अलग पहचान बनाई है इलाके में। भाजपा के प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर हंडवा स्टेट के वंशज हैं। राजशाही जीवन से ताल्लुकात रखने वाले श्री कुंवर दो बार यहां से विधायक रहे हैं। हालांकि कई बार इन्हें टिकट के लिए पार्टी बदलनी पड़ी। इसलिए दोनो प्रत्याशी दमदार हैं। इसलिए ये सीट इन दोनों के लिए इस बार आसान नही होगा।

जरमुंडी विधान सभा का चुनाव दिलचस्प

इस बार जरमुंडी विधान सभा का चुनाव वैसे भी दिलचस्प होने वाला है। भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज़ सीताराम पाठक निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े है। गठबंधन पर सहमति नहीं बनने के बाद एनडीए से अलग लोजपा ने वीरेंद्र प्रधान को मैदान में उतारा है. जबकि जेवीएम ने डॉ संजय कुमार पर दांव खेला है। वही जद यू ने भी बबिता राव पटेल को अपना उम्मीदवार बना चुनाव मैदान में उतारा है। इन सब के बीच दो बार विधायक रह चुके हरिनारायण राय भी अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार को चुनावी दंगल में उतारने की रणनीति पर काम कर रहे है। ऐसे में जरमुंडी का चुनाव धीरे-धीरे दिलचस्प मोड़ लेता दिख रहा है।

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