देवघर।
पुनासी एक नही, चार पुनासी की जरूरत महसूस होने लगी है . हर रोज जलस्तर रसातल में जा रहा है, शहर की कई छोटे-बड़े पोखरा या तो गायब हो गये या फिर गायब होने की स्थिति में है। बंगाल में घर घर पोखरा है, जिससे पानी की समस्या भी नही है, और उससे मछली पालन भी होता है, एक पंथ दो काज।
यहां डोभा बना लेकिन कितने ऐसे डोभा है जिसमें चुल्लू भर भी पानी हो। आखिर लाखों करोड़ो की बजट का क्या सुखद परिणाम हुआ? कुछ नही। ..
शहर का साहेबपोखर का अस्तित्व खंडहर में है। बच्चे इसमें क्रिकेट खेलते हैं या फिर शरारती तत्व का अड्डा बन गया है । एक ऐसा भी पोखर है जिसमें चुल्लू भर पानी नही है लेकिन सौन्दर्यीकरण पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर जलसार का एक मात्र बड़ा पोखर जिसमें पानी तो है। लेकिन उसके रखरखाव व सौन्दर्यीकरण पर कोई संज्ञान लेने वाला नही है । अगर जलसार की साफ सफाई बिजली व सौन्दर्यीकरण कर दिया जाए तो इससे बाजार के बीचोंबीच होने के कारण बहुत लोगों को फायदा होगा । जलसार के अन्य छोटे-छोटे पोखरा को भी जीर्णोद्धार परमावश्यक है ।
एक समय था जब एक कुआं से दस घर पानी ले जाता था। आज वह कुआं या तो जलविहीन है या उसे मिट्टी से भर दिया गया. जिस अनुपात से जलस्तर लगातार घटते जा रहा है. अगर यही स्थिति अगले दस साल तक रहेगी ,तो शहर में कुआं की तरह चापाकल डीप बोरिंग सब फेल हो जाएगा, इसलिए एक तरफ पानी की कमी को दूर करना है. वहीं दूसरी तरफ जलस्तर को ऊपर उठाने की तमाम विकल्प तलाशने होंगे ।
राज्य की नदियो को जोड़ने की जरूरत है। जिला के सभी नदियों को जोड़ने की जरूरत है। नदियों में हर पांच किलोमीटर पर चेकडैम बनाने की जरूरत है ।तमाम छोटी बड़ी नदियो के दोनो पाटों पर लाखों लाख पौधारोपण करने की जरूरत है .
सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम छोटी बड़ी नदियों की बालू उठाव पर रोक लगाई जाए ।शहर का बालू बेरोक-टोक अवैध रूप से शहर और दूसरे शहरों में बिक्री हो रही है. बालू उठाव पर रोक लगाई जाए ।
अभी गर्मी सिर पर है, तीन महीने और भीषण गर्मी की तपिश होगी। मुझे लगता है कि शहर के 90 फीसदी घरों में पनसोखा नही है, बगैर कोई प्लान के घर बने हुए हैं ।बहुत घरों में इसके लिए जगह नही है परन्तु शेष घरों में तो बनाया जा सकता है।
हमें तात्कालिक जल संकट को भी दूर करना है और आगामी सौ दो सौ साल का मास्टर प्लान भी तैयार कर जल संकट को दूर करने की सोच से कार्य करने की जरूरत है ।
जल के प्रति जनजागरुकता अभियान की जरूरत है-
►टैंकर से पानी मिल जाना कतई समाधान नही माना जाए।
►शाॅवर का प्रयोग न किया जाए ।
►टायलेट, बाथरूम में आधा लीटर वाला मग का प्रयोग किया जाए ।
►गाड़ी धोने का काम बरसात शुरू होने तक बंद रखा जाए ।
►नल चलाकर सीधे ब्रश न करके मग में पानी भरकर किया जाए ।
►कीचन में पानी बर्बादी को रोका जाए, इसके लिए बर्तन साफ करने में टब में पानी भरकर डूबो डूबोकर किया जाए ।
►कम से कम पानी में नहाया जाए. लेकिन भरपूर पानी पिया जाए।
►जानवरों को चारा शुद्ध पानी में भिगोकर ही दिया जाए ताकि प्यास कम लगे।
►और भी कई छोटे-छोटे प्रयोग से जल को अधिक खर्च होने से बचाया जा सकता है।