देवघर।
देवघर समेत मधुपुर के विभिन्न नदियों से बालू का अवैध उठाव बदस्तूर जारी है. पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बना बालू माफियाओं का नेटवर्क दिनदहाड़े बालू का अवैध करोबार कर रहा है. वहीं प्रशासन इनसे अनभिज्ञ है.
वर्षों से हो रहे इस गोरखधंधे का विपरित प्रभाव जीव-जन्तु, पशु-पक्षियों और मानव जीवन पर सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है. क्षेत्र के अजय, पतरो, जयंति, नोनीयाद, फागो जैसे कभी कलकल करने वाली नदियां अब बालू के अभाव में बंजर होते जा रही है. नदियों में बालू और पानी के स्थान पर सूखे घास-फूस और मिट्टी नजर आ रहें हैं.
पर्यावरणविदों का मानना है कि अगर नदियों में बालू नहीं रहेगी तो पानी का ठहराव और बहाव भी नहीं होगा. ऐसे में वन्य जीव प्रणाली पर खतरा एवं मनुष्यों को पर्यावरण असंतुलन का सामना महाप्रलय के रूप में भुगतना पड़ेगा.
गर्मी के दिनों में हालात ये हैं कि नदी किनारे खुदाई करने पर पानी नहीं मिट्टी निकल रहे हैं. इन इलाकों के नदियों से सटे कई गांवों के लोग और किसान पानी के लिए त्राहिमाम है. गिरते जलस्तर जहां लोगों के लिए चिंतन का विषय बना हुआ है. वहीं लगातार नदियों से बालू का उठाव सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के दावे पर कई सवाल खड़े कर रहें है.
जरूरत है हमें भी नदियों के अस्तित्व के प्रति सजग होने की. इनके बचाव में खासकर युवाओं को मुहिम चलाने की. साथ ही जल, जंगल और जमीन जैसे मुद्दों पर कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को बेहतर पहल करने की.
हालांकि देवघर जिला उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने क्षेत्र में भीषण जल संकट के मद्देनजर सरकार के प्रधान सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग समेत गृह कारा से पत्राचार किया है. ताकि घोषित सूखाड़ से निबटा जा सके है.