देवघर।
गांव-गांव में वर्षों से शिक्षा का अलख जलाने वाले पारा शिक्षकों को करीब पांच माह से मानदेय नहीं मिला है. जिस कारण पारा शिक्षकों की स्थिति अति दयनीय हो गयी है.
अक्टूबर 2018 से लगातार फरवरी 2019 के तक पारा शिक्षकों को उनका मेहनताना सरकार द्वारा भुगतान नहीं की गयी. स्थायीकरण व वेतनमान को लेकर 15 नवम्बर 2018 को झारखंड के 68 हजार पारा शिक्षकों ने सामूहिक हड़ताल पर चल गये थे. करीब 47 दिनों के हड़ताल में रहने के बाद सरकार ने पारा शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि कर अविलंब भुगतान किये जाने की बात भी कही थी. लेकिन सरकारी पेंच में फंसे पारा शिक्षकों का मानदेय अब तक भुगतान नहीं हो पाया है. हजारों पारा शिक्षक एवं उनके परिवार के समक्ष भूखमरी की नौबत आन पड़ी है. ऐसे में सरकार द्वारा इनके मांगों पर कोई ठोस पहल नहीं किये जाने एवं नियमावली नहीं बनाये जाने से प्रदेश के तमाम पारा शिक्षकों में सरकार के प्रति काफी नाराजगी देखी जा रही है.
इधर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दो माह का मानदेय भुगतान किये जाने की बात होली से पूर्व किये जाने की बात कही जा रही थी. इसके बावजूद भी पारा शिक्षकों को अब तक मानदेय भुगतान उनके बैंक खाते में नहीं की गयी है.
पारा शिक्षकों का कहना है कि सरकार द्वारा आश्वासन के नाम पर छलने का काम किया जा रहा है. समान काम समान वेतन को लेकर भी सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेशों की भी धज्जियां उड़ायी जा रही है.
विदित हो कि हड़ताल के दौरान दर्जनों पारा शिक्षकों पर रांची के मोहराबादी मैदान में लाठीचार्ज किये जाने का मामला सामने आया था. ईलाज और तंगहाली के कारण कई पारा शिक्षकों एवं उनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु भी हो चुकी है. पारा शिक्षकों ने झारखंड उच्च न्यायालय से मामले पर स्वतः संज्ञान लिये जाने की मांग किया है.