गिरिडीह।
गिरिडीह पारसनाथ नई रेल परियोजना की सरकार से स्वीकृति मिलने के साथ ही निर्माण का खाका तैयार हो गया है। एक हज़ार करोड़ की लागत से बनने वाले इस रेलवे लाईन के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू तक नहीं हुआ और चुनाव के मद्देनज़र योजना का शिलान्यास कर दिया गया. परियोजना में 120 हेक्टयर वन भूमि की जमीन है और बगैर एनओसी लिए योजना का आधारशिला कर दिया गया.
धनबाद रेल मंडल के पारसनाथ स्टेशन पर यह तामझाम गिरिडीह जनता को एक सौगात देने के लिए आयोजित किया गया है. गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय के अगुवाई पारसनाथ-गिरिडीह नई रेल लाईन परियोजना का भूमि पूजन किया। इनके साथ विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी एवं विधायक जगन्नाथ महतो आदि भी उपस्थिति थे. बताया गया कि यह लाईन 49 किलोमीटर लंबी होगी। और इसकी लागत 972 करोड़ आएगी। इसमें 2 क्रासिंग स्टेशन एवं 2 हाल्ट होंगे। इस परियोजना के लागत का 50 प्रतिशत राज्य सरकार एवं 50 रेलवे वहन करेगी। इसे 4 वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
शिलान्यास कार्यक्रम में गिरिडीह विधायक निर्भय शाहाबादी भी शरीक हुए. उन्होंने इस परियोजना को मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताया है.
इधर इस शिलान्यास पर डुमरी विधायक जगरनाथ महतो ने सवाल खडा कर दिया है। उन्होने भाजपा सरकार पर चुनावी स्टंट करने का आरोप लगाते हुए इस शिलान्यास का पुरजोर विरोध किया है। मौके पर डुमरी विधायक ने यह सवाल उठाया कि जब जमीन का अधिग्रहण नही हुआ है और न ही टेंडर हुआ है तो इतनी जल्दबाजी में शिलान्यास करने की क्या जरूरत है। उनके इस सवाल का जवाब गिरिडीह सांसद नहीं दे सके न ही गिरिडीह विधायक।
दरअसल गिरिडीह से पारसनाथ स्टेशन के बीच नयी रेल परियोजना में कुल 213 हेक्टयर जमीन का अधिग्रहण होना है और इस परियोजना में आधे से अधिक हेक्टयर वन भूमि है यानि कुल 120 हेक्टयर वनाधिकार क्षेत्र घोषित है और अभी तक भूमि अधिग्रहण के लिए एनओसी नहीं मिला है. लिहाजा शिलान्यास कार्यक्रम में सवाल उठना लाजमी है. इस मामले में धनबाद रेल डिवीज़न के महाप्रबंधक एके मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने गोलमटोल बात कहकर तय समय सीमा पर परियोजना का कार्य पूरा कर लेने का दावा किया।
विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर जी के नजदीक पारसनाथ स्टेशन में सोमवार को खूब तामझाम से पारसनाथ –गिरिडीह भाया शिखर जी रेल लाइन का शिलान्यास सांसद रविंद्र पांडेय के हाथों कराया गया। लेकिन यह शिलान्यास महज चुनावी शिलान्यास ही नजर आ रहा है। क्योंकि 13 माह पहले घोषणा हुए इस रेल लाइन के बीच में कई हेक्टेयर क्षेत्र में वन भूमि अवस्थित है। लेकिन 13 माह में सरकार न ही वन विभाग से इसकी एनओसी ले पाई और ना ही इस रेल लाइन के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ पाई।
अब जाकर चुनावी दस्तक के साथ ही आनन-फानन में इस रेल लाइन का शिलान्यास किया गया है।लेकिन इसके निर्माण कार्य मे रोड़ा अटकेगा इसमें कतई संदेह नही है।अब सवाल भी लाजमी है।बिना एनओसी के कैसे यह रेल परियोजना पूरी होगी।इस सवाल का जवाब फिलहाल सभी बगले झाक रहें हैं.