देवघर।
कहते है साज़िश की स्याह गलियां कितनी भी अंधेरी क्यों न हो, कहीं न कहीं सुराग के सुराख छोड़ ही जाती है। ऐसे ही एक सुराख़ से मिली सुबूत की रौशनी में जब खाकी ने क़ातिलों की तलाश में ख़ाक छाननी शुरू की तो, न सिर्फ़ क़त्ल के पीछे साज़िशों की उलझी गुत्थी ख़ुद ब ख़ुद सुलझती चली गई बल्कि, मौत के वो ठेकेदार भी सीखचों में कैद कर लिए गए जो, चंद पैसों की खातिर खुलेआम मौत बांटते फिर रहे थे।
जी हां, बीते 22 फरवरी को जसीडीह के माणिकपुर इलाके में अंजाम दिये गए रेवा राणा हत्याकांड मामले के पीछे की हकीकत भी कुछ ऐसी ही थी। पुलिस की मानें तो, क़त्ल के पीछे की असली वजह ज़मीन का एक टुकड़ा था लेकिन, वारदात को अंजाम देने की खातिर, क़ातिल किराए के बुलाए गए थे।
कत्ल के इस मामले की तफ़्तीश देवघर में "मिस्टर बॉन्ड" के नाम से मशहूर हो रहे टॉप कॉप्स में शुमार सदर एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव की देख रेख में चल रही थी, और रिज़ल्ट 24 घंटे के भीतर ही सामने था, क़त्ल की साज़िश रचने और क़ातिल को मौका ए वारदात तक पहुंचाने का जिम्मेदार कमल यादव नामक बदमाश पुलिस की गिरफ्त में था. फ़िर जब, उसने कत्ल, क़ातिल और उसके पीछे की साज़िशों का पर्दाफाश किया तो, हत्याकांड में शामिल तमाम चेहरे खुद ब खुद बेनकाब हो गए।
कमल यादव की निशानदेही और अपनी टेक्निकल टीम की मदद से देवघर पुलिस ने फौरन, मौत के उन ठेकेदारों को कानून की चौखट पर हाज़िर करने की ख़ातिर एक टीम को बिहार के मुंगेर के लिए रवाना कर दिया।
आखिरकार पांच दिनों की मशक्कत के बाद किराए के उन दोनों क़ातिलों को उनके गढ़ से धर दबोचा। बहरहाल, रेवा राणा हत्याकांड मामले में गिरफ्तार साज़िशकर्ता समेत गिरफ्तार किए गए दोनों सुपारी किलर्स दीपक यादव और पुटुस उर्फ आनंद कुमार ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया है. साथ ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है.
जिले के पुलिस कप्तान ने मामले का खुलासा करने और आरोपियों की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाने वाले मुलाज़िमों को रिवार्ड देने का भी ऐलान किया है।