दुमका।
झारखंड में वर्ष 2014 में प्रवीर दा उर्फ प्रवील दा उर्फ हिरेंद्र मुर्मू की गिरफ्तारी के बाद इलाके में संगठन का बागडोर संभाल रहे सहदेव राय उर्फ ताला दा उर्फ रितेश को शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित छातूपाड़ा में नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया।
एलआरपी पर निकली एसएसबी और पुलिस की टीम से छातुपाड़ा में हुई मुठभेड़ में ताला दा के साथ साथ चार से पांच नक्सली को गोली लगी। ताला दा की मौत पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है।
संथाल परगना के उपमहानिरीक्षक राजकुमार लकड़ा और दुमका पुलिस अधीक्षक वाई एस रमेश खुद मुठभेड़ का कमान संभाले हुए थे। नक्सली मुड़भेड़ के दौरान पुलिस को एक AK-47, एक इंसास रायफल सहित कई मैगजीन, कई राउंड जिन्दा कारतूस सहित नक्सलियों के पिठ्ठू और कई सामान बरामद हुए है। पुरे इलाके में पुलिस और एसएसबी के द्वारा सर्च अभियान चले जा रहा है।
यहाँ बता दे 10 लाख का इनामी नक्सली ताला दा की संलिप्ता एसपी अमरजीत बलिहार की मौत समेत संताल परगना के विभिन्न जिलों में हुए तकरीबन 50 से अधिक छोटे-बड़े मामलों में है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पलासी में एंबुस लगाकर पांच पुलिस कर्मी समेत आठ लोगों की हत्या में भी ताला ने अहम भूमिका निभाई थी। वर्ष 2013 में 27 जुलाई को काठीकुंड थाना क्षेत्र के गंदर्प गांव में एक संवेदी कंपनी के पांच वाहनों को आग के हवाले कर ताला दा के दस्ते ने अपनी उपस्थिति का एहसास कराया था। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास योजनाओं को बाधित करने लिए नक्सलियों द्वारा गोपीकांदर, रामगढ़ एवं काठीकुंड में संवेदी कंपनियों से लेवी वसूलने का मामला भी शामिल है।
ताला दस्ते के नाम अब तक की सबसे बड़ी नक्सली वारदातों में 2014 के लोकसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में लोकसभा चुनाव के दौरान आठ पुलिस वालों को बिस्फोट कर उड़ा देने का भी मामला दर्ज है।