सारठ/देवघर।
सारठ प्रखंड क्षेत्र में गव्य विकास विभाग द्वारा करीब 60 लाख की लागत से तीन गौकुल केन्द्र बनाया जा रहा है। लेकिन तीन वर्ष बीतने के बाद भी सभी गौकुल केन्द्र का निर्माण कार्य आधा-अधुरा ही पड़ा हुआ है। जबकि एकरारनामा के अनुसार एक वर्ष में ही इन गौकुल केन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण कराकर झारखंड मिल्क फेडरेशन को हैंडओवर करना था, ताकि फेडरेशन द्वारा केन्द्र में बल्क मिल्क कुलर मशीन लगाकर दुग्ध उत्पादकों को सुविधा पहूंचाना था।
मालुम हो कि क्षेत्र के कुम्हराबांधी, उपरबांधी व डुमरिया में 20-20 लाख की लागत से तीन गौकुल विकास केन्द्र निर्माण के लिए कृषि मंत्री रंधीर सिंह ने जनवरी 2016 में शिलान्यास किया था। शिलान्यास समारोह में ही मंत्री ने कहा था की बीपीएल महिलाओं को 90 फिसद अनुदान पर दो-दो दुधारू गाय दी जा रही है। लाभूकों को दुध बेचने में कोई परेषानी ना हो इसके लिए गौकूल केन्द्र बनाया जा रहा था। पशु पालकों व दुग्ध उत्पादकों के चेहरे पर भी खुशी थी कि अब केन्द्र बनने से बगल में ही सारी सुविधायें मिलेगी। लेकिन तीन साल के बाद भी भवन निर्माण का कार्य अधुरा रहने से किसानों की खुशी गायब हो गई है। दो वर्ष पूर्व ही केन्द्र का निर्माण कार्य लिलटन लेवल तक किया गया है। उसके बाद से ही कार्य बंद है।
निर्माण कार्य मेसर्स शिवम कंस्ट्रक्शन रांची द्वारा कराया जा रहा है। विभाग द्वारा संवेदक को लिलटन लेवल तक का भुगतान भी किया गया है। लेकिन संवदेक ही कार्य को अधुरा छोड़ कर भाग गये है। कहा जा रहा है कि रांची के संवेदक ने लोकल ठीकेदार से कार्य कराया है। जिसका काफी पैसा भी बकाया है।
भवन निर्माण विभाग करा रहा कार्य:
जिला गव्य विकास पदाधिकारी राजीव रंजन का कहना है कि सरकार के निर्देश पर साल 2016-17 में भवन निर्माण विभाग को राशि हस्तांतरित कर दिया गया है। लेकिन संवेदक कार्य में रूची नहीं ले रहे है। इसके लिए भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को पत्र लिख कर कहा गया है कि अगर संवेदक कार्य में रूची नहीं लेते है तो नियमानुकुल प्रक्रिया अपनाते हुए संवेदक को बदलकर कार्य को पुर्ण करायें। उसके बावजुद अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसको लेकर गौपालकों में असंतोष देखा जा रहा है।