दुमका।
जो बैद्य, वृद्ध और विद्वानों का सम्मान नहीं कर सकता, उसका विनाश निश्चित है। यहाँ तो मानो नादिरशाह का शासन चल रहा है। यह बाते झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने रघुवर दास की सरकार पर अपना निशाना साधते हुए झारखण्ड राज्य के स्थापना दिवस के दिन आंदोलन के दौरान पारा शिक्षको पर हुए लाठी चार्ज और पारा शिक्षकों पर मुक़दमा दर्ज कर जेल भरने के मामले पर कहा।
अपने दो दिवसीय कार्यक्रम पर दुमका पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन ने अपने आवास खिजुरिया में प्रेसवार्ता कर झारखण्ड सरकार पर अपना निशाना साधते हुए कहा कि जिस तरीके से स्थापना दिवस में शर्मनाक हरकतें की गयी हैं। पत्रकार, शिक्षक, महिलाओं को लात-घुसो से लाठी-डंडा से पीटा गया कि इस शर्मसार किए जाने वाले विषय को फ्रंट पेज पर जगह भी नहीं मिली। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अंदर खाने और मौजूदा हमारे रघुवर दास जी ने व्यवस्थाओं को किस तरीके से ध्वस्त किया है। इसका गला घोटा है। यह निश्चित रूप से इससे इस सरकार का एक और अमानवीय चेहरा सामने दिखता है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि एक कहावत है जो वृद्ध, विद्वान और बैद्य का सम्मान नहीं कर सकता। उसका विनाश निश्चित रूप से होगा और यहां तो लग रहा है कि नादिरशाह का शासन चल रहा है। चारों तरफ दमन, चारों तरफ जुल्म ही जुल्म हो रहा है। जिस तरीके से जो घटनाएं घट रही है, उस घटना के प्रति हम अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और हम अपनी ओर से शिक्षकों के आंदोलन को सराहते है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हम यही अपील कर सकते हैं कि वह अपना संघर्ष जारी रखें। पूरा राज्य उनके साथ है और अगर तख्ता पलट हुआ जब उनकी सरकार बनेगी तो उनके सारे मुक़दमा लादा गया है उनको समाप्त किया जायेगा। अब इसके लिए निश्चित रूप से लगता है अब राज्य को इस रघुवर सरकार की आवश्यकता नहीं है और इसके लिए हर कोने से आवाज निकल रही है कि इस सरकार को हर हाल में विदा देने का समय आ चुका है.