गिरिडीह।
राजधनवार में इन दिनों केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए बड़े-बड़े घोषणाओं तथा विकास की पोल खोलती नजर आ रही है। राजधनवार के जरीसिंघा पंचायत के खेरवानी गांव आज भी विकास से कोसों दूर नजर आ रही है।
विकास की बाट जोहती दलित पिछड़ी जाति के लगभग 02 हजार की आबादी वाले खेरवानी ग्राम धनवार प्रखण्ड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। पर आज भी गाँव से मुख्यालय को जोड़ने वाली एक भी सड़क नही है। पगडंडियो से होते हुए नदी पार कर धनवार मुख्यालय तक लोग जाते है। यहाँ रास्ते के अभाव में ना तो डॉक्टर पहुँच पाते हैं और ना ही पदाधिकारियों के निगरानी में शिक्षा के स्तर में कोई सुधार हो पा रही है। बच्चों को भी गाँव के विद्यालय जाने के लिए कोई रास्ता नही है। जिससे परेशान ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कार्य को अपने स्तर से करने का निर्णय लिया है। करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक ग्रामीणों ने 500 रु का आपसी सहयोग राशि जमा कर कच्ची सड़क निर्माण कार्य करवाने में लगे हुए है।
स्थानीय ग्रामीण रामचन्द्र पासवान तथा जागेश्वर वर्मा की माने तो विभिन्न पार्टियों की सरकारें आयी और गयी पर खेरवानी ग्राम आज भी विकास के नाम पर शून्य की स्थिति में है। इसके लिए स्थानीय सांसद, विधायक के अलावे उपायुक्त तथा मुख्यमंत्री जनसंवाद के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी खेरवानी ग्राम की समस्या को अवगत कराया गया। बावजूद कोई पहल नही किया गया।
लेकिन, भारत सरकार द्वारा धनवार प्रखण्ड में दो गांव को पिछड़ी तथा हरिजन बहुल क्षेत्र को देखते हुए 2016 में ग्राम स्वरोजगार अभियान के तहत गोद लिया गया। जिससे खेरवानी के ग्रामीणों को वर्षो बाद एक उम्मीद जगी पर दो वर्ष बाद भी विकास के एक भी कार्य नही किये गए। जिससे ग्रामीणों ने सरकार तथा प्रशासन पर से उम्मीद को छोड़ते हुए समाज सेवी पवन साव के द्वारा दिये गए हौसले और सहयोग राशि के बल पर खुद विकास को गति देने के उद्देश्य से 15 सो मीटर सड़क निर्माण कार्य को करने का निर्णय लिया।
ग्रामीणों ने बताया कि महज 02 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धनवार मुख्यालय जाने के लिए आठ किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। साथ ही प्रशासन तथा सरकार के रवैए को देखते हुए आने वाले चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है।
जरीसिंघा पंचायत के मुखिया टूना तुरी ने बात को टाल मटोल करते हुए कहा कि धनवार के पूर्व बीडीओ प्यारे लाल द्वारा गाँव का जायजा लिया गया था। लेकिन किसी तरह का कोई फंड पंचायत को नही दिया गया। जिसके कारण सड़क निर्माण कार्य नही किया जा सका। जबकी मनरेगा के माध्यम से मुखिया द्वारा कच्ची सड़क का निर्माण कार्य किया जा सकता था। बावजूद कोई पहल नही किया जा सका। ग्रामीणों ने आम सभा के माध्यम से कई बार सड़क निर्माण कार्य पारित किया गया पर आज तक कोई पहल नही हुआ है।