देवघर।
झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में विजयदशमी बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया गया. मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन करने से पहले ‘सिंदूर खेला‘ की परंपरा है. ऐसे में शहर के सभी पूजा-पंडालों में सिंदूर खेला का आयोजन बड़े धूम-धाम से किया गया. महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदुर लगाकर सिंदूर खेला की पंरपरा को निभाया.
विजयादशमी के दिन असत्य पर सत्य की जीत, हिंसा पर अहिंसा की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और अधर्म पर धर्म की जीत के खुशी में स्थानीय महिलाओं द्वारा सिंदुर खेला कर दुर्गा मां को विदाई दी गयी. सत्संग नगर स्थित महा स्वस्तिका सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल में 10 दिनों के महात्योहार का समापन धूमधाम से गाजे बाजे के साथ किया गया. विजयादशमी को महिलाओं ने सिंदूर खेल कर मां को विदाई दी. श्रद्धालु महिलाओं ने बताया कि बहुत पुरानी चली आ रही परंपरा के अनुसार विजयादशमी के दिन सुहागिन महिलाऐं एक दूसरे को सिंदुर लगाकर एवं एक दूसरे के साथ सिंदुर का खेला कर दुर्गा मां से सदा सुहागन रहने की मन्नत मांगतें हैं ताकि सुहागन बनकर प्रतिवर्ष माता का दर्शन करने आते रहें.
वहीं, हृदयपीठ दुर्गाबाड़ी दुर्गामंदिर में भी महिलाओं ने सिंदूर खेल जश्न मनाया. महिला श्रद्धालुओं के बताया कि नवरात्रि पर मां दुर्गा नौ दिनों तक अपने मायके में रहती हैं और दसवें दिन वापस अपने ससुराल चली जाती हैं. सिंदूर खेला के साथ मां को विदायी दी जाती है. इस मौके पर मां दुर्गा सभी महिलाओं को सुहागन रहने का आशीर्वाद देती हैं.
वहीं सार्वजनिक मां दुर्गा पूजा समिति जसीडीह बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में विजया दशमी के दिन महिलाओं द्वारा मां की प्रतिमा पर सिंदुर लगाकर मां को विदाई दी गयी. साथ ही सभी महिलाओं द्वारा एक दूसरे को सिंदुर लगाकर सिंदुर खेला गया.
महिलाओं ने सिंदुर खेल के बारे में बताया कि पुरानी परंपरा के अनुसार विजयादशमी के दिन मां को विदाई दी जाती है. इसलिए विदाई के दिन मां को सिंदुर लगाने के लिए आते हैं और एक दूसरे को सिंदुर लगाकर खुशी मनाते हैं. परंपरा यह भी है कि सिंदुर का खेल महिलाऐं इसलिए करती है कि वे माता से यह कामना करती है कि हमेशा उन्हें सुहागन रखें.