देवघर।
देवघर के बंपास टाउन स्थित देवसंघ आश्रम के नवदुर्गा मंदिर में ऋषि-मुनियों की परंपरा को निभाते हुए मां दुर्गा का महास्नान कराया गया. देवघर के देवसंघ में नवरात्रि की सप्तमी के दिन महास्नान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस महास्नान के तहत मां को देश-विदेश के कई स्थानों से लाए गए जल से स्नान कराया जाता है.
वर्षों से चली आ रही यह परंपरा अनोखी है. आश्रम से जुड़े भक्त समवेत विधि से नवरात्र की महासप्तमी से मां की प्रतिमा को सात महासागर, सात समुद्र व सात नदियों के पवित्र जल से महास्नान करवाते हैं. यह पवित्र जल आश्रम से जुड़े देश-विदेश में रहने वाले भक्त दुर्गापूजा के अवसर पर अपने साथ लेकर आते हैं. इतना ही नहीं यहां कई स्थानों से लाई गई मिट्टी से मां की विशेष पूजा की जाती है. यह पूजा बंगाली संस्कृति के अनुसार पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है.
इससे पूर्व सप्तमी की सुबह नवपत्रिका का स्वागत और मां की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करायी गयी. इसके बाद आश्रम के भक्तगण देश-विदेश में स्थापित महासागर, समुद्र व नदियों से लाये गये जल से बारी-बारी से माता का महास्नान कराया गया. बाद में पूरे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ षोडशोपचार पद्धति से माता की पूजा हुई. वस्त्रादि धारण कराने व महिला भक्तों ने माता का श्रृंगार किया. वहीं, बाद में भोग निवारण व भक्तों के बीच प्रसाद वितरण हुआ.
ऐसी मान्यता है कि इस तरह से पूजा करने से मां सभी भक्तों से प्रसन्न हो उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. देवसंघ में रखी मां की प्रतिमा की खास बता यह है कि यहां मां की प्रतिमा को हर साल मिट्टी से बनाया जाता है और मां की ही यह शक्ति है कि यहां मां की मिट्टी की प्रतिमा को जल से स्नान कराने के बावजूद प्रतिमा को किसी प्रकार की क्षति नहीं होती है. भक्त इसे मां की शक्ति मानते हुए वैदिक मंत्रोचारण से पूजा करते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं.
प्रत्येक वर्ष महासप्तमी के अवसर पर मां के महास्नान में शरीक होने का भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है. यही कारण है कि देश के कई राज्यों से श्रद्धालू महास्नान के अवसर पर देवघर के देवसंघ में आते हैं.