गिरिडीह।
विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र पारसनाथ मधुबन में शुक्रवार को डर और खौफ का माहौल देखने को मिला। असल में भाकपा माओवादियों ने 12 और 13 अक्टूबर को दो दिवसीय मधुबन बंदी का ऐलान किया है। नक्सलियों के बंदी के कॉल के मद्देनजर मधुबन ठहर सा गया।
तमाम दुकानों का शटर डाउन हो गया. वहीं धर्मशाला व भोजनालय तक को बंद कर दिया गया। यहां बता दें कि अभी फेस्टिव सीजन चल रहा है और इस दौरान देश-विदेश से जैन श्रद्धालु यहां पर्वत वंदना व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए पहुंचते हैं। लेकिन नक्सलियों के बंदी को देखते हुए तमाम तीर्थयात्री यहां से निकल पड़े और पूरा मधुबन करीब-करीब यात्रियों से खाली हो गया। अहिंसा परमो धर्मः की तपो भूमि पारसनाथ और आसपास का इलाका नक्सलियों के रेड कॉरिडोर का हिस्सा है। लगातार इलाके में नक्सली अपनी खौफनाक वारदातों को अंजाम देते रहे हैं। नक्सलियों के भय से उनके द्वारा बुलाए गए बंद का व्यापक असर इस बार मधुबन में देखने को मिला है।
बंद के पहले दिन बिल्कुल मधुबन में पूरी वीरानगी छाई रही और हमेशा चहल-पहल रहने वाला मंदिरों का गांव मधुबन ठहर सा गया है। बताया गया कि पिछले दिनों मजदूर संगठन समिति और जैन ट्रस्ट में मजदूरों के हित को लेकर कई तरह के समझौते हुए थे। लेकिन नक्सली गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के कारण सरकार ने मजदूर संगठन समिति पर बैन लगा दिया। संगठन पर प्रतिबंध लगते ही जैन संगठनों ने उनके साथ हुए समझौते को तोड़ दिया और मजदूरों का शोषण करने लगे। इन्हीं आरोपों को लेकर इस बार नक्सलियों ने बंद बुलाया है और जैन ट्रस्ट को मजदूरों का शोषण बंद करने की चेतावनी दी है।