गिरिडीह।
मिशन 2019 के आहटों के बीच लगातार राजनीतिक परिस्थितियों में उठापटक चल रहा है।भले ही अभी चुनाव का शंखनाद ना हुआ हो,लेकिन भाजपा खेमे में हलचल जोरदार रूप से महसूस हो रही है। हालाँकि ये बातें हवा में ही है. वास्तिवकता तो समय पर सामने आएगी।
आईटी सेल सर्वे और इंटरनल सर्वे के मुताबिक देशभर में इस बार कई भाजपा सांसदों के टिकट पर तलवार लटक रहा है।चर्चा है कि गिरिडीह सांसद रविंद्र पांडे की उम्मीदवारी भी खतरे में है। जब से यह खबर हवा में उड़ी है कि रविंद्र पांडे का टिकट कट सकता है।तब से ही कई दावेदार इस सीट पर नज़र गड़ा कर अपनी गतिविधियों को तेज किए हुए हैं। लोस सीट पर रविंद्र पांडे के बाद कुछ नाम जोर-शोर से उछल रहे हैं। बताया जा रहा है कि सूबे के मुख्यमंत्री के चहेते माने जाने वाले बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो भी इस सीट पर नजर बनाए हुए हैं। उनकी गतिविधियां भी लगातार गिरिडीह लोकसभा इलाके में चल रही है।इस चर्चा को हवा इस बात से भी मिल रही है कि लगातार भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश सेठ ढुल्लू महतो के संपर्क में है।पिछले दिनों नगर निगम का चुनाव संपन्न होने के बाद भी प्रकाश सेठ अपने कई प्रमुख सहयोगीयों के साथ बाघमारा पहुंचकर ढुल्लू महतो से मुलाकात की थी। हालांकि इस मुलाकात को बेहद औपचारिक ढंग से पेश किया गया था। लेकिन इसके कई मायने निकले। इस बीच कई बार चर्चा छिड़ी की ढुल्लू महतो गिरिडीह इलाके में अपना जनाधार मजबूत कर रहे हैं और यहां के कई प्रमुख भाजपाई लगातार उनके संपर्क में है। इस बात को सबसे ज्यादा ताकत तब मिला जब रविवार को पड़ोसी राज्य बंगाल के दुर्गापुर में अखिल भारतीय माहुरी वैश्य महामंडल के कार्यक्रम में ढुल्लू महतो को बतौर अतिथि बुलाकर उन्हें मंच पर सम्मानित किया गया। असल में इस कार्यक्रम के कर्ताधर्ता में से एक गिरिडीह भाजपा के जिलाध्यक्ष प्रकाश सेठ भी थे।
यहां बता दें कि इस कार्यक्रम में माहुरी वैश्य महामंडल के केंद्रीय पदाधिकारी सह भाजपा के वरिष्ठ नेता सुबोध प्रकाश समेत अन्य कई भाजपाई भी शामिल हुए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि ढुल्लू का ना ही माहुरी समाज से कोई वास्ता है और ना ही बंगाल से इनका कोई लेनादेना है। बावजूद इसके इस कार्यक्रम में शामिल होने से निश्चित रूप से रविंद्र पांडे की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही है।यहां एक और बात बता देना जरूरी है कि गिरिडीह में भी पिछले दिनों आयोजित माहुरी समाज के कार्यक्रम में ढुल्लू महतो को बतौर अतिथि शामिल कराने की कोशिश की गई थी।लेकिन किसी कारणवश उनका कार्यक्रम रद्द हो गया और वे इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके थे।
हालांकि जब तक चुनावी रणभेरी नहीं बज जाती है और पार्टी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं कर देती है तब तक यह खबर महज कयास भर ही हैं।बावजूद इसके पिछले दिनों रविंद्र पांडे और ढुल्लू महतो के बीच जो वाकयुद्ध लगातार चला और जिस तरह की तल्खियां उन दोनों के बीच बनी हुई है।इससे इस कयास को बल मिलता है और उम्मीद की जा रहे हैं कि ढुल्लू ही रविंद्र पांडे के सबसे बड़े काट के रूप में सामने हैं।दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता इस कदर उफान ले रही है कि इनके बीच कोई भी भाजपाई मुड़फुटवल की हिम्मत नही जुटा पा रहा है।
यहां यह भी गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में बाघमारा क्षेत्र से श्री पांडे को काफी वोट मिले थे। बताया जा रहा है कि तब ढुल्लू, रविंद्र पांडे के बेहद करीबी थे और चुनाव में उन्होंने इनकी खूब मदद की थी। अब इस बार गोमिया विधानसभा में हुई भाजपा की करारी हार और बाघमारा के दबंग विधायक की बेरुखी के साथ-साथ गिरिडीह शहरी और मुफसिल इलाके के लोगों की नाराजगी संसद के लिए मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है।निश्चित ही यह स्थिति श्री पांडे के लिए बेहतर संकेत नहीं है।फिर भी अगड़ा वर्ग अब भी श्री पांडेय के पक्ष में नजर आ रहा है।खास कर कायस्थ बाहुल्य गिरिडीह में ढुल्लू की आपराधिक छवि थोड़ी नकारात्मक स्थिति खड़ी कर सकती है।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा जिलाध्यक्ष और ढुल्लू के बीच बढ़ी नजदीकियां रविंद्र पांडे के लिए क्या मुश्किलें पैदा करती है और ढुल्लू की बढ़ती गतिविधियों के बीच रविन्द्र टिकट झटक पाने में कितने सफल साबित हो पाते हैं।