रांची।
प्रदेश में राजधानी के नगड़ी ब्लाक में 'पहल' के तर्ज पर खाद्यान मामले में डीबीटी करने को लेकर राज्य सरकार बैकफुट पर आ गयी है. जिस स्कीम को राज्य सरकार ने बड़े तामझाम ले साथ पिछले साल अक्टूबर में लांच किया गया उसे केंद्र की हरी झंडी मिलने के बाद समाप्त कर दिया गया है. दरअसल नगड़ी में यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गयी थी, जिसका सामाजिक संगठनों समेत वहां के लोगों ने भी विरोध किया था.
राज्य के खाद्य आपूर्ति एवं सार्वजानिक वितरण मामले के मंत्री सरयू राय ने बताया कि इस बाबत विभाग की तरफ से रांची के जिला प्रशासन को एक पत्र भेजकर इस स्कीम को समाप्त करने को कहा गया है. साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि अब पहले की तरह ब्लाक में सब्सिडाइज्ड रेट जो एक रूपये प्रति किलोग्राम है उसपर लाभुकों को अनाज उपलब्ध कराया जाये.
शुरू से सवाल खड़े होते रहे
खाद्यान मामले में डीबीटी करने के सरकार के निर्णय को लेकर शुरू से सवाल खड़े होते रहे. बाद में इसका विरोध व्यापक होने लगा तब राज्य सरकार ने एक सोशल ऑडिट भी कराया. जिसमें स्थानीय लोगों ने यही राय दी है कि राशन मामले में डीबीटी पूरी तरह से फेल है. विभाग ने इस योजना को समाप्त करने को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखा और फिर केंद्र सरकार का भी दरवाजा खटखटाया.
स्कीम का हुआ था विरोध
सामाजिक संगठन राशन बचाओ मंच से जुड़े लोगों के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि जितने परिवारों से बात की गयी, उनमें से 97 प्रतिशत DBT के खिलाफ थे. नगड़ी इलाके में 12,165 लाभुकों को इसका लाभ मिलना था. लेकिन न केवल बैंक खाते में पैसे न आने की शिकायत सामने आई बल्कि लाभुक अन्य कई समस्या झेल रहे थे.
क्या थी राशन मामले में डीबीटी योजना
अक्टूबर, 2017 में झारखंड सरकार ने रांची के नगड़ी प्रखंड में जन वितरण प्रणाली में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. राशन दुकान पर 1 रुपये प्रति किलो के दर से चावल के बजाए, राशन कार्डधारियों को 31.60 रुपये प्रति किलो की दर से सब्सिडी उनके बैंक खाते में जाना था और उन्हें 32.60 रुपये प्रति किलो के दर से राशन दुकान से चावल खरीदना था.