देवघर/सारठ:
सारठ प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा योजना से बनाये गये सिचाई कूपों में अधिकांशतः सिंचाई कूपों का अस्तित्व मिटता जा रहा है। जिससे ये समझा जा सकता है कि सरकारी योजनाओं में कैसे जमकर लूट हो रही है।
सारठ प्रखंड के लगभग सभी पंचायतों में मनरेगा के तहत स्वीकृत सिंचाई कूपों को बिचौलियों द्वारा ग्लासनुमा आकार का बनाया जाता है। जिसमें योजना में प्राक्कलन की घोर अनदेखी की जाती है। नतीजा पांच वर्ष में ही सिंचाई कूप धवस्त हो जा रहा है। सारठ पंचायत के बसमत्ता गांव के असलम शेख को वर्ष 2011-12 में एक सिंचाई कूप की मिली स्वीकृति एक नमुना भर है। असलम के उक्त सिंचाई कूप का निर्माण कार्य गांव के ही एक बिचौलिया द्वारा कराया गया। बिचैलिया ने दो वर्ष में कूप का कार्य पूर्ण किया। लेकिन जैसे-तैसे निर्माण कार्य को पूर्ण करके विभाग के अभियंता को चढ़ावा देकर पूर्ण भुगतान ले लिया और कूप निर्माण होने के चार साल बाद ही धवस्त भी हो गया। आज जहां माॅनसून की दगाबाजी से किसानों के बिचड़े सुख रहे हैं वहां मनरेगा के बने कूप किसानों के बिचड़े बचाने में भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। वहीं सुत्रों की मानें तो प्रखंड क्षेत्र में हजारों की संख्या में बनाये गये सिचाई कूपों की हालत जर्जर है।
कहते है ग्रामीण:
ग्रामीण का कहना है कि सारठ और डिंडाकोली पंचायत में सिंचाई कूप निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई है। सभी कूप ग्लासनुमा बनाया गया है। प्राकल्लन के अनुरूप एक भी कूप में न तो गहराई है और न ही सही सामग्री लगाई गई है। सिर्फ ठेकेदारी किया गया है। शिकायत करने पर अधिकारी जांच में आते है लेकिन जांच के नाम पर भी सिर्फ खानापुर्ति कर मामले को रफा-दफा कर देते है।
जांच कर होगी कार्रवाई:
प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी डेविड गुडिया ने कहा कि अभिलेख देखने के बाद योजना की जांच की जायेगी कि आखिर चार वर्ष में कैसे धस गया कूप, आगे सभी दोषी पर कार्रवाई के लिए लिखा जायेगा।