बोकारो:
आखिर इसकी जवाबदेही कौन लेगा…….
अगर समय पर इसका उपयोग कर लिया जाता तो शायद ये दवाएं एक्सपायरी होने से पूर्व किसी गरीब मरीज के काम आ जाती. लेकिन सुनिए अस्पताल के प्रभारी और स्टोर कीपर की बातें… सरकार ज्यादा मात्रा में भेज दे रही है दवाएं… अब इसके लिए कौन जिम्मेदार! स्वास्थ्य विभाग झारखंड के पदाधिकारियो या फिर अस्पताल के प्रभारी…
दरअसल, चास अनुमंडलीय अस्पताल में जब दवा एक्सपायरी की बात पूछी गयी तो स्टोर के प्रभारी ने बताया कि कुछ ही दवा एक्सपायरी हुई है. वह भी दो तीन साल पहले. लेकिन जब मीडिया ने पड़ताल की तो अधिकतर दवा 17-18 की एक्सपायरी मिली. गर्भवती महिलाओ को मिलने वाली बिटीमिन सी की सिरप 16 पेटी यानि 700 से अधिक सीरप 100 एमएल एक्सपायरी की भेट चढ़ गयी. वहीं एंटीबायोटिक की 600 से 700 गोलियां भी एक्सपायरी हो गयी. मरीजो को चढ़ने वाली स्लाईन (पानी की बोतल) 10 की 15 से अधिक पेटिंया एक्सपायरी की भेट चढ़ गयी.
ऐसे में समझा जा सकता है कि सरकार दवा के नाम पर सिर्फ पैसो की बर्बादी कर रही है. सरकार गरीबों के लिए दवा भेज रही और यहां उसे बर्बाद किया जा रहा. सवाल यह है कि आखिर इतनी दवा को यहां भेजने की जरुरत ही क्यों पड़ी, जब यहां पर दवा की खपत न हो. क्या इन दवाओ का उपयोग दूसरे अस्पताल या फिर सुदुर ग्रामीण क्षेत्र मे नहीं किया सकता।
अस्पताल प्रबंधन तो राज्य से दवा भेजे जान की बात कह पल्ला झाड़ रहा लेकिन सरकार को इस दिशा में कड़े कदम उठाने की जरुरत है. ताकि जो दवाएं एक्सपायरी हो रही है ऐसे अस्पतालो से उसे मंगाकर एक्सपायर होने से पहले ही उन जगहो पर भेज दें जहां इसकी जरुरत हो, ताकि दवा के अभाव में मरीजो को अपनी जान नहीं गंवानी पड़े.