दुमका:
लातेहार जिला के बुढापहाड़ में शहीद छह जवानों में एक दुमका के नगर थाना क्षेत्र के कुरुवा पंचायत के रघुनाथगंज गांव निवासी शहीद परमानंद चौधरी का पर्थिव शरीर दुमका लाया गया।
दुमका पहुंचने के बाद शहीद परमानंद चौधरी के पार्थिव शरीर को पुलिस लाईन मैदान में ले जाया गया जहाँ झारखण्ड की समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ,पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी, पुलिस अधिकारी सहित पुलिस जवानों ने उन्हें नम आँखों से श्रद्धांजलि दी. उसके बाद सम्मान के साथ शहीद परमानंद चौधरी के शरीर को उनके अपने आवास दुमका के नगर थाना क्षेत्र के कुरुवा पंचायत के रघुनाथगंज गांव ले जाया गया, जहाँ करूण रूदन सुनकर दूर-दराज से आनेवाले भी आंसू रोक नहीं पा रहे थे। जिस किसी को शहीद के बारे में पता चला, वह घर की ओर दौड़े चला आया। शहीद परमानंद चौधरी की अंतिम संस्कार बिहार के भागलपुर जिला में किया जायेगा, जहाँ उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।
लातेहार में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कुरुवा पंचायत के रघुनाथगंज गांव निवासी परमानंद चौधरी का हर सपना चंद देर में ही बिखरकर चकनाचूर हो गया। जिस घर में सोमवार तक हर किसी के चेहरे पर मुस्कान थी, आज वहां गम के आंसू बह रहे थे। जैसे ही शहीद परमानंद चौधरी का पार्थिव शरीर पहुँचा उनकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। झारखण्ड की समाज कल्याण मंत्री सहित तमाम परिजन और मोह्हले वाले शहीद परमानंद चौधरी के एक बार देखने को ललाहित दिखे, सबके आंखे नम थी। एक अच्छा इंसान देश की सेवा में शहीद हो गया।
देश सेवा के लिए कुछ दिन पूर्व ही छुट्टी के बाद अपने डियूटी पर गए परमानंद चौधरी ने अपनी पत्नी से जाते वक्त कहा था इस बार लम्बी छुट्टी पर आयूंगा। क्योंकि शहीद परमानंद चौधरी की एक मात्र बेटी अर्पिता की 28 जुलाई को दो साल होने पर जन्म दिन मनाने आने वाले थे। लेकिन समय को कुछ ओर ही मंजूर था। परमानन्द के दोस्त और परिजनों को विश्वास नहीं हो रहा था कि आज उसका प्यारा दोस्त उसके बिच नहीं है.
दोस्तों और परिजनों की माने तो शहीद परमानन्द की असली श्रद्धांजलि तभी होगी जब नक्सली को सरकार सबक सिखाएगी।
वहीँ शहीद परमानन्द चौधरी को अपनी श्रद्धांजलि देने पहुंची झारखण्ड की समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि देश के जवान राज्य के जवान अपनों को सुरक्षा देने के लिए अपने आप को बलिदान कर देते है। जिसमे आज दुमका का एक बीर सपूत शहीद हो गया। दुमका वासियों को इसका दुःख है इस घटना का भरपाई नहीं हो सकता है। इस दुःख की घडी में दुमका वासी शहीद के परिवार के साथ खड़े है। आने वाले समय में शहीदों के लिए सरकार ने जो प्रावधान किया है जितना जल्दी हो सके उनके आश्रितों को दिलाने का पूरा-पूरा प्रयास रहेगा। यहाँ नक्सली घटना लगातार घट रही है उसके लिये सरकार प्रयास कर रही है कि वहां से नक्सली का जो प्रकोप है वह हमेंशा के लिए ख़त्म हो जाय.