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पावर की कमी से जब सदर अस्पताल में बंद हुआ डायलिसिस ….

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रिपोर्ट: फलक शमीम 

हज़ारीबाग:

हजारीबाग सदर अस्पताल परिसर में झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत डायलिसिस सेंटर एक निजी कंपनी के द्वारा लगाया गया है.

सरकार और कंपनी के बीच एमओयू किया गया है कि BPL धारियों को काफी कम कीमत में डायलिसिस किया जाए एवं जनरल लोगों को भी बाजार की अपेक्षा कम मूल्य में डायलिसिस किया जाता है. कई महीनों से निर्बाध गति से यह डायलिसिस सेंटर चल रहा है और लोग इसके कार्य से काफी संतुष्ट भी दिख रहे हैं. परंतु आज एका-एक लोगों में अफरा-तफरी मच गई.

जब डायलिसिस सेंटर ने लोगों को बतलाया कि आज मैं डायलिसिस करने से मजबूर हूं, क्योंकि हमारे पास ऊर्जा की उपलब्धता नहीं है. ऐसे में जहां रोज 40 मरीजों का डायलिसिस होता है.  इस तरह का जवाब सुनकर लोगों को काफी निराशा होने लगी. मरीज के परिजनों को भी यह लगने लगा कि अब तो आज का मेरा डेट फेल हो जाएगा और आगे रांची जाकर ही डायलिसिस हो पाएगा। ऐसे में रांची में भी नंबर कितना बजे मिलेगा, आज मिलेगा या नहीं। 

इसमें भी संशय है लोगों में अफरा-तफरी देखकर जब हमारे संवाददाता ने डायलिसिस सेंटर संचालक से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही, तो संचालक ने सरकारी आला अधिकारियों के डर से कैमरे पर कुछ भी बताने से इनकार किया। परंतु ऐसे उन्होंने बातों ही बातों में कह दिया कि हजारीबाग सदर अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें जो सोलर सिस्टम मुहैया कराया था. वह आज काट दिया गया है जिसके कारण हमारे पास कोई अतिरिक्त विद्युत की व्यवस्था नहीं है जो कि मरीजों को डायलिसिस करने के दरमियान विद्युत बंद हो जाने पर खतरनाक हो सकता है. इसलिए डायलेसिस ना करने का हमारा फैसला मरीजों के हित में है.

इस बात को लेकर जब हजारीबाग के सिविल सर्जन के पास पहुंचे और उन्हें मानवता का परिचय देने को कहा गया जो सिविल सर्जन ने डायलिसिस सेंटर संचालक को गलत ठहराते हुए और उन्हें आगाह करने के लिए कि वह विद्युत की वैकल्पिक व्यवस्था स्वयं से कर ले यही एग्रीमेंट में भी लिखा हुआ है.  किसी के दबाव के तहत आज सोलर लाइट सिस्टम को काटा गया है. परंतु क्योंकि इसमें मरीजों का हित जुड़ा हुआ है और मानवता को देखते हुए हम सोलर सिस्टम से उसे जुड़वा देते हैं और हमारे यहां जो जनरेटर सेट है उसे अगर संचालक बनवाकर अपने इस्तेमाल में ला पाता है तो ज्यादा बेहतर होगा और आगे से मरीजों को मुश्किल नहीं उठाना पड़ेगा।

आखिरकार बात की जाए तो मीडिया के पहुँचने के बाद हजारीबाग के सिविल सर्जन ने डायलिसिस सेंटर को चालू करवाया।

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