रांची:

भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 के विरोध में सूबे की सभी विपक्षी पार्टियाँ एक हो गयी हैं. इस मामले में सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराने के मकसद से बाकायदा आन्दोलन की रूपरेखा भी तैयार की गई है.

विपक्षियों द्वारा आन्दोलन की शुरुआत 19 जून से राज्य भर में सरकार के पुतला दहन से की जाएगी. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन के कांके रोड स्थित आवास पर तीन घंटे तक चली 'एकजुट विपक्ष' और सामाजिक संगठनों की बैठक में यह तय हुआ कि 5 जुलाई को राज्यभर में चौबीस घंटे के 'महाबंदी' का आयोजन किया जायेगा.
हेमंत सोरेन ने कहा कि 19 जून के बाद 21 जून को राज्य के हर ब्लाक में धरना कार्यक्रम होगा. वहीँ 25 जून को जिला स्तर पर वृहद रूप से धरना होगा जिसमे सभी विपक्ष और सामाजिक संगठन के लोगों से मौजूद रहेंगे. इसके बाद 28 जून को राजधानी में राजभवन के समक्ष महाधरना होगा. सोरेन ने कहा कि भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को लेकर गांव से लेकर शहर तक ग्रामीण, किसान, नौजवान मूलवासी और आदिवासी सबके मन में एक आक्रोश उमड़ रहा है.
उन्होंने कहा की बैठक में एक कोआर्डिनेशन कमिटी बनाने का भी निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से संपूर्ण विपक्ष सरकार के खिलाफ कई लड़ाईयों में साथ आ रहा हैं उसी तरह आगे की लड़ाई में भी पूरा विपक्ष एकजुट रहेगा.
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार को पहले राज्य की जमीन का हिसाब किताब देना चाहिए. इस मामले में एक श्वेत पत्र जारी कर बताये कि राज्य गठन के समय सरकार के पास कितनी जमीन थी और अब क्या स्थिति है. साथ ही मोमेंटम झारखण्ड के नामपर कितनी जमीन किसको दी गयी है.