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‘पानी रोको’ अभियान का सच: 52 लाख की लागत से जिर्णोद्धार हुए तालाब में भारी अनियमितता, विभाग मौन

रिपोर्ट: शिव कुमार यादव 

देवघर/सारठ:

राज्य में पानी के घटते जलस्तर को लेकर रघुवर सरकार पानी रोको अभियान के तहत करोड़ों खर्च कर रही है। लेकिन नौकरशाहों के मनमाने रवैये की वजह से सरकार की इतनी महत्वाकांक्षी योजना भी धरातल पर आते-आते कैसे दम तोड़ देती है। इसे देखना है तो कृषि मंत्री रणधीर सिंह के विधानसभा क्षेत्र सारठ आईये।

किसानों को पटवन की सुविधा देने के लिए सरकार खास बांधों के अलावे निजी तालाबोें का भी तेजी से जिर्णोद्धार कर रही है। लेकिन विभागीय अधिकारी तालाब जिर्णोद्धार व नवनिर्माण के नाम पर संवेदक के साथ मिलकर सरकारी राशि की ही बंदरबांट कर रही है। इसे विडंबना ही कहिए कि इन अधिकारियों को किसान हित में बनाये जा रहे तालाबों के भारी-भरकम प्राक्कलन की अनदेखी करने में भी गुरेज नहीं है। जिर्णोद्धार के नाम पर सिर्फ नाम मात्र की गहराई करके मेढ़ को उंचा कर दिया जा रहा है। 

संवेदक पर अनियमितता का आरोप: 

आराजोरी पंचायत के खखड़ा गांव स्थित महादेवा तालाब जिर्णोद्धार में सरकारी राशि की लूट देखने को मिल रहा है। जल संसाधन (लघु सिंचाई) विभाग द्वारा राज्य संपोशित योजना के तहत 52 लाख की लागत से उक्त महादेवा तालाब का जिर्णोद्धार किया जा रहा है। कृषि मंत्री रंधीर सिंह द्वारा पिछले 21 जनवरी को भव्य तरीके से जिर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास किया गया था। शिलान्यास समारोह में मौजूद ग्रामीणों को कहा था कि विभाग व संवेदक को प्राक्कलन के अनुरूप कार्य करने का सख्त निर्देश दिया गया है। ताकि तालाब में अधिक पानी स्टॉक हो और इसका लाभ किसानों को मिल सके। लेकिन संवेदक द्वारा जिर्णोधार कार्य में भारी अनियमितता का आरोप ग्रामीणों ने लगाया हैं।

ग्रामीणों ने क्या कहा: 

ग्रामीणों का कहना है कि तालाब के तल को महज तीन फीट ही गहरा किया गया है। वहीं तालाब की मिटटी को जैसे-तैसे गोचर, रास्ता आदि जगहों पर डाल दिया गया हैं। जिर्णोद्धार कार्य समाप्त होने के बाद भी कार्य स्थल पर सूचना पट्ट नहीं लगाया गया है। कई लोगों ने बताया कि कुछ ग्रामीण निजी स्वार्थ में संवेदक से मिल कर गलत कार्य में भी सहयोग करते दिखे। कई लोगों का कहना था कि 52 लाख के जगह पर यदि 40 लाख की भी मिटटी कटा होता तो तालाब में सालों भर पानी रहता।  आरोप लगाया कि संवेदक प्राक्कलित राशि की एक चौथाई की भी मिटटी नहीं कटाये है और योजना को पूर्ण बताकर पुरी राशि निकालने के फिराक में है।

संवेदक को तालाब में पानी भरने का इंतजार:

ग्रामीणों की मानें तो तालाब में एक माह पूर्व से ही कार्य बंद कर दिया गया है। ऐसे में योजना की लीपापोती के लिए पानी भरने का इंतजार किया जा रहा है। ताकि कार्य में बरती गई अनियमितता को छुपाया जा सके। किसानों का कहना है कि जब कृषि मंत्री के क्षेत्र का यह हाल है तो अन्य जिलों में सरकार का पानी रोको अभियान कितना कारगर होता होगा समझा जा सकता है।

कार्य के अनुरूप होगा भुगतान: अभियंता

इस संबंध में विभाग के कार्यपालक अभियंता रणवीर सिंह ने कहा कि तालाब में जितना फीट गहराई किया गया है उतना का ही भुगतान किया जायेगा। सरकार के राशि का बंदरबांट किसी सूरत में नहीं होने दिया जायेगा। उन्होने स्वंय आकर तालाब का जायजा लेकर संवेदक को प्राक्कलन के अनुरूप कार्य करने के बाद ही पूर्ण भुगतान करने की बात कही।

 

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