देवघर:
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा वैद्यनाथ मंदिर के गद्दी घर में रविवार को 29वें सरदार पण्डा के रूप में गुलाब नन्द ओझा ने गद्दी संभाली।
28वें सरदार पण्डा अजितानन्द ओझा के देहावसान के तेरहवें दिन उनके बड़े सुपुत्र गुलाब नन्द ओझा सरदार पण्डा की कुर्सी पर बैठे। ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि के अवसर पर पूर्वाह्न नौ बजे से सरदार पण्डा को गद्दी पर बैठाने की विधि शुरू हुई। पंडितों की ओर से निर्धारित समय पर बाबा मंदिर पहुंचे गुलाब नन्द ओझा का सबसे पहले परंपरानुसार मुण्डन संस्कार मंदिर प्रांगण में कराया गया। उसके बाद सात अलग-अलग नदियों से मंगाए गए जल से उन्हें स्नान कराया गया। परंपरानुसार तिलकोत्सव कराने के बाद उन्हें बाबा वैद्यनाथ की पूजा-अर्चना कराने के लिए बाबा मंदिर गर्भगृह ले जाया गया। वहां उन्होंने प्रधान पूजारी के रूप में कामनालिंग बाबा वैद्यनाथ की विशेष पूजा की।
स्टेट पुरोहित व वैदिकों की उपस्थिति में उन्होंने षोड़षोपचार विधि से बाबा वैद्यनाथ की पूजा की। उसके बाद बाबा का रुद्राभिषेक भी किया। उसके बाद उन्होंने माता पार्वती की पूजा की। पूजा संपन्न होने के बाद उन्हें प्रशासनिक भवन से सटे गद्दी घर ले जाया गया। वहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गुलाब नन्द ओझा को सरदार पण्डा की कुर्सी पर विराजमान किया गया।
नए सरदार पण्डा गुलाब नन्द ओझा को सांसद निशिकांत दुबे, प्रथम मेयर राजनारायण खवाड़े, बस ऑनर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेशानन्द झा ने पगड़ी पहनायी। मौके पर पूर्व मंत्री कृष्णानन्द झा, सरदार पण्डा के भाई विजय नन्द झा, अमित झा, सच्चिदानंद झा, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद दत्त द्वारी, पण्डा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुरेश भारद्वाज, महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर, उपाध्यक्ष अरुणानन्द झा, वार्ड पार्षद शुभलक्ष्मी देवी, रीता चौरसिया के अलावे पन्ना लाल मिश्र, गायक सुरेशानन्द झा, रामू झा, दयानन्द परिहस्त सहित सरदार पण्डा के परिवार से जुड़े सभी महिला, पुरूष व बच्चे भी मौजूद रहे।
ढोल-ढाक के बीच सरदार पण्डा को गद्दी पर बैठाया गया। मौके पर जमकर जश्न मनाया गया।
बताते चलें कि 47 वर्षों की लंबी अवधि के बाद 6 जुलाई 2017 को अजितानन्द ओझा को सरदार पण्डा की गद्दी पर विराजमान किया गया था। 13 दिन पूर्व अचानक उनके निधन के बाद कुर्सी खाली हुई थी। बड़े पुत्र गुलाब नन्द ओझा द्वारा ही मुखाग्नि दिये जाने के कारण परंपरानुसार 12 दिनों के श्राद्ध-कर्म में होने के कारण तेरहवें दिन रविवार को उन्हें सर्वसम्मति से नये सरदार पण्डा की गद्दी पर विधि-विधान के साथ विराजमान कर दिया गया।