रांची:
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने राज्य के बीजेपी सरकार को आड़े हाथो लिया है.
बाबूलाल मरांडी ने सरकार के निर्णय पर सवाल उठाया है. प्रदेश के 11 गैर अधिसूचित जिलों में थर्ड और फोर्थ वर्ग की नियुक्तियों में स्थानीय लोगों को लेने के निर्णय पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार इस निर्णय से राज्य के युवाओं को झांसा देने की कोशिश कर रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि स्टेट कैबिनेट के फैसले में स्थानीय लोगों का जिक्र है, जबकि नौकरी स्थायी लोगों को मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हाल में हुई बहाली पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि बाहरी लोगों की नियुक्ति जमकर हुई है. इसका नुकसान यहाँ के स्थायी निवासियों को होगा। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य के युवाओं को केवल थर्ड और फोर्थ क्लास की नौकरियों में ही क्यों नियुक्त करने की बात हो रही है, सेकंड वर्ग में क्यों नहीं हो रही.
उन्होंने कहा, कैबिनेट फैसले के बजाये राज्य सरकार इसको लेकर एक कानून बना दे. उसी के आधार पर राज्य सरकार कानून बना सकती है. साथ ही उसमे दस साल की बजाये बीस साल का प्रावधान भी जोड़ दे. इसका फायदा यह भी होगा कि उसको कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकेगा.
जेवीएम सुप्रीमों बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जब राज्य सरकार की स्थानीयता नीति के खिलाफ उन्ही के दल के लोगों ने लिखकर पुनर्विचार को कहा तब पर्यटन मंत्री अमर कुमार बाउरी की अगुआई में एक कमिटी बनी. कमिटी ने पांच अनुशंसायें की, जबकि राज्य सरकार ने उनमे से एक पर अपनी सहमति देते हुए कहा कि अब से उन 11 जिलों में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की बहाली में वहीँ के स्थानीय लोगों की नियुक्ति की जाएगी.