रिपोर्टः गौतम मंडल
देवघर/ पालोजोरीः
सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं. लेकिन योजनाओं को सरज़मीं पर उतारने के लिए जिन्हें जिम्मेवारी दी गयी है. उनकी लापरवाही के कारण जरूरतमंदों तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पा रहा.
ऐसा ही एक मामला पालोजोरी प्रखंड के विराजपुर पंचायत अंतर्गत विराजपुर गांव में देखने को मिला. जहां एक परिवार टूटे-फूटे घर में रहने को मजबूर है. मिट्टी के घर और टूटी हुई छत के बीच सुखु कोल का परिवार जैसे-तैसे दिन काट रहा है. ठंड हो या बरसात या फिर गर्मी का मौसम ढ़ंग का छत नहीं होने के कारण घर के सदस्यों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
टूटी छत
ढ़ंग का घर न होने के बावजूद अबतक सुखु कोल को सरकारी आवास का लाभ नहीं मिल पाया है. सुखू और उनकी पत्नी बताती हैं कि सरकारी योजना के तहत क्षेत्र में बहुतों का घर बन रहा है. लेकिन जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है उन्हें ही घर नहीं मिला है. ऐसे में वह कहां जायें.
इधर पुछे जाने पर पंचायत की मुखिया संतरी मरांडी ने कहा कि सुखु कोल को सेकेंड फेज़ में आवास का लाभ मिलेगा. सूची में उसका भी नाम है.
बहरहाल, जिस तरह सुखू के घर की तस्वीर हाल बयां कर रही इससे तो यही कहा जा सकता है कि सरकारी योजनाओं के हक़दार सबसे पहले सुखु कोल जैसे ही लोग हैं. इन्हें दूसरे और तीसरे चरण का इंतज़ार कराना कहां का इंसाफ है.