देवघर :
11 अक्टूबर 2017 को एनकाउंटर के बाद गुरुग्राम में पकड़े गए गैंगस्टर अखिलेश सिंह दुमका कारागार में बंद है. जिसे कड़ी सुरक्षा के बीच देवघर लाया गया. गैंगस्टर अखिलेश सिंह को देवघर किसी केस को लेकर नहीं बल्कि स्वास्थ्य परीक्षण के लिए लाया गया.
पुलिस की घेराबंदी के बीच अखिलेश
प्रशासन की कड़ी चौकसी के बीच निजी नर्सिंग होम में बंदी अखिलेश सिंह की जाँच करायी गयी. उसका एम आर आई भी कराया गया. मौके पर दुमका के एसडीओ अशोक कुमार सिंह और बतौर मजिस्ट्रेट दुमका डीआरडीए डायरेक्टर मौजूद थे. सुरक्षा की दृष्टि कोण से स्थानीय जिला प्रशासन ने पूरे एरिया की घेराबंदी कर रखी थी. देवघर एसडीपीओ दीपक पांडे, जेल अधीक्षक कुमार चंद्र शेखर पूरे दलबल के साथ मौजूद थे.
जमशेदपुर निवासी यह खतरनाक डॉन 56 मामलों में वांटेड था और अभी भी अदालतों में इसके खिलाफ 36 मामले लंबित हैं. 11 अक्टूबर को गुरुग्राम से एनकाउंटर के बाद गैंगस्टर अखिलेश सिंह को गिरफ्तार किया गया था. एनकाउंटर के दौरान अखिलेश के पैर में गोली भी लगी थी. फ़िलहाल अखिलेश सिंह दुमका करागार में बंद है. अखिलेश सिंह के खिलाफ कुल 56 मामलों में 14 में वह बरी हो गया है. जबकि दो मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहा है.
अखिलेश सिंह के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को उसने खामोश कर दिया. बताया जाता है कि जिसने भी अखिलेश के खिलाफ आवाज उठाई, उस पर गोली चलाई गई या हत्या कर दी गई. अखिलेश ने पुलिस अधिकारी, जज, जेलर, व्यवसायी, यहां तक कि दूसरे गुट के अपराधियों को भी नहीं बख्शा.
जेलर की हत्या-
बिजनेसमैन ओम प्रकाश काबरा के अपहरण काण्ड में अखिलेश सिंह पहली बार जमशेदपुर के घाघीडीह जेल गया था. 12 फरवरी 2002 को उसने जेलर उमाशंकर पांडेय की जेल के अंदर ही हत्या कर दी थी. जानकारी के मुताबिक जेलर उमाशंकर पांडेय ने अखिलेश को जेल में बांध कर जम कर पीटा था. कुछ दिन के बाद अखिलेश जेल से फरार हो गया और एक माह बाद दोबारा जेल कैंपस में स्थित जेलर के घर पंहुचकर जेलर उमाशंकर की गोली मार कर हत्या कर दी.
जज पर चलाई गोली-
जेलर उमाशंकर पांडेय मर्डर केस में जज आर पी रवि ने अखिलेश को उम्रकैद की सुनाई थी. सजा सुनने के बाद अखिलेश ने 19 मार्च 2008 को जज आर पी रवि के घर में घुस कर उनपर ताबड़तोड़ फायरिंग की. हालांकि, इस हमले में जज आर पी रवि बाल-बाल बच गए थे.
चलाता था ए कंपनी-
अखिलेश सिंह ने जेलर, जज, व्यवसायी, नेता, दुसरे गैंग के अपराधी किसी को भी नहीं बक्शा. जिसने आवाज उठाई, उस पर गोली चली या हत्या हो गई. दाउद की डी कंपनी की तर्ज पर इसने ए कंपनी चलाई, जहां शूटरों को मंथली सैलरी दी जाती थी.
मौत के डर से वाइफ को रखता था साथ-
ऐसा बताया जाता है कि मौत के डर से अखिलेश अपनी वाइफ को हमेशा साथ रखता था. वह अपनी पहचान छिपाता था और होटलों व गेस्ट हाउस में रुकने के लिए वाइफ की आईडी प्रूफ का ही यूज किया करता था. 11 अक्टूबर को गुरुग्राम स्थित सुशांत लोक के गेस्टहाउस में पुलिस ने डॉन के पैर में गोलियां मारकर उसे अरेस्ट कर लिया था. इस गेस्टहाउस में भी अखिलेश सिंह ने आईडी प्रूफ के रूप में पत्नी गरिमा सिंह का पैनकार्ड दिया था.