रिपोर्ट:नितेश कुमार
दुमकाः
उपराजधानी दुमका के आदिम जनजाति बालिका कल्याण छात्रावास की तस्वीर वर्षों बीत जाने के बाद भी नहीं बदली है. यहां छात्राएं डर के साये में रहने को मजबूर हैं.
जानकारी के मुताबिक आदिम जनजाती बालिका कल्याण छात्रावास में कुल 50 छात्रा रहकर अपनी पढ़ाई करती है. छात्रावास में दूर-दराज से छात्रा अपनी पढ़ाई करने के लिए आकर रहती है. लेकिन कल्याण विभाग इस भवन में छात्राओ को सुविधा देने के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर रही है.
क्या-क्या है कमीः
►सुविधा तो दूर आदिम जनजाति बालिका छात्रावास में छात्राओं की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षाकर्मी भी तैनात नहीं है. सुरक्षा का कोई इंतेजाम नहीं होने के करण छात्राओं में भय का माहौल बना हुआ रहता है.
►बेड नहीं होने के कारण छात्राओं को जमीन में सोना पड़ता है. जिससे किड़े-मकोड़े के काटने का डर बना रहता है.
►छात्रावास में पानी और बिजली की भी बहुत ज्यादा दिक्कत है. बिजली जाने पर मोमबत्ती ही एकमात्र सहारा है.
छात्राओं का कहना है कि छात्रावास के इस भवन में विभाग का कोई पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि कभी हाल-चाल लेने नहीं आते. छात्राओं ने सूबे की सरकार से मांग की है कि छात्रावास में मौजूदा दिक्कतों को दूर किया जाये. सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात किया जाये. ताकि बिना किसी परेशानी के छात्रा अपना पठन-पाठन कर सकें.