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दृष्टिबाधित बच्चो के लिए वरदान नेत्रहीन आवासीय विद्यालय हिजला, लेकिन आवास असुरक्षित

रिपोर्ट: गौतम मंडल


दुमका:

नेत्रहीन आवासीय विद्यालय हिजला दृष्टिबाधित बच्चो के लिए वरदान साबित हो रहा है । विद्यालय का संचालन 1 अप्रैल 2016 से हो रहा है। कुल बच्चे 52  है। मात्र एक साल के अंदर यहाँ आँखों से बिना देखे बच्चे काफी कुछ सीख चुके है।

विद्यालय में प्राचार्य शिवनंदन महतो स्पेशल एजुकेटर, तापस कुमार ब्रेल लिपि, संजय ठाकुर सामान्य शिक्षक और अतहर परवेज म्युबलिटी व खेल शिक्षक है। सर्वांगीण विकलांग विकास केन्द्र गोड्डा द्वारा विद्यालय का संचालन किया जा रहा है । छात्र छात्राए ब्रेल लिपि के माध्यम से पढते लिखते है।

दो छात्र गोपाल मरांडी और सुनील राय क्रिकेट खेलने में माहिर है । दोनो राज्य व अंतर्राज्यीय मैच खेल चुके है। सुनील व गोपाल ने बताया कि हमदोनो रांची नेत्रहीन क्रिकेट टीम में शामिल होकर मध्यप्रदेश, गुजरात, उड़ीसा तक खेले है। दोनों ने कहा कि यदि दुमका में ब्लाइंड क्रिकेट  प्रशिक्षण केन्द्र की व्यवस्था की जाए तो  हमारी अपनी एक किक्रेट टीम बन सकती है। यहां तो बैट, विकेट, गलव्स कुछ नही है। 
विद्यालय में संगीत शिक्षक साधन महतो के सानिध्य मे छात्रा-छात्राए संगीत सीख रही है । छात्रा संगीता कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, पिंकी कुमारी , रिंकू कुमारी  और सनिता पावरिया हिंदी और संथाली गीत व संगीत काफी अच्छे से गाना सीख चुकी है । छात्र सीताराम भारती को बीते साल संगीत गायन में तत्कालीन आयुक्त ने पुरस्कृत भी किया था ।

संगीत                                                                                                                                                       संगीत सीखते बच्चे 

 शिक्षक शिवनंदन महतो ने कहा कि दृष्टिबाधित बच्चो में प्रतिभा की कमी नही है । सरकार यदि मुकम्मल सुविधा दे तो हर क्षेत्र में ये आगे बढ़ेंगे ।

विभाग को दृष्टिबाधित बच्चो की परवाह नहीं:
दुमका-समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय हिजला दुमका में दृष्टिबाधित बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । दृष्टिबाधित छात्र  व छात्राए जिस कमरे मे रहते है वो सुरक्षा की दृष्टिकोण से खतरनाक है। आवासीय कमरो के दरवाजे टुटे-फूटे है। जहां छोटे-छोटे जानवरो  व असामाजिक तत्वो के घुसने का डर लगा रहता है ।

पशु                                                                                                                                                                                          परिसर में चरता पशु 

दिलचस्प बात यह है कि एनजीओ को आवासीय विद्यालय का भवन जब विभाग द्वारा सौंपा गया उस समय  स्कूल सह छात्रावास के सभी कमरे के दरवाजे टुटे फूटे  व उखड़े हुए थे। खिड़की के शीशे भी टुटे हुए थे। जो यथावत स्थिति में है । यानी दृष्टिबाधित बच्चो के लिए 15 साल पुराना भवन सुपुर्द किया गया है। चहारदिवारी भी अधुरा व जर्जर है। जब तब गाय बैल घुस जाते है। विद्यालय में तड़ितचालक तक नही लगाया गया है। छात्रावास मे रैंप की जगह सीढी बना हुआ है।

मजेदार बात यह बात है कि छात्रावास के एक कमरे में विभाग द्वारा ट्राइसाइकिलो को रखा गया है जो देखरेख के अभाव मे बर्बाद हो गया है। इन ट्राइसाइकिलो को नही बांटना भी जांच का बिषय है।

त्रिस्य्क्ले                                                                                                                                                           बेकार पड़ा ट्राई-साइकिल 

 

क्या कहते है शिक्षक –

शिक्षक शिवनंदन महतो ने कहा कि छात्रावास व स्कूल का दरवाजा टुटा हुआ ही मिला था। मजबुरन बच्चो को इन कमरो मे रखना पड़ता है। टुटे दरवाजे के कारण रात दिन एक्टिव रहना पड़ता है ताकि कोई खतरा पैदा न हो पाए। उन्होंने कहा कि विभाग सभी समस्याओ से अवगत है ।

क्या कहते है अधिकारी –

समाज कल्याण विभाग के सांख्यिकी सहायक संजय कुमार ने कहा कि वहां का भवन काफी पहले बना था। पूरा झाड़ी जंगल उग गया था । साफ सुथरा कर विद्यालय शुरू हुआ है । वहां की समस्याओ को लिखित रूप से देने को कहा गया है ताकि सरकार को अग्रसारित किया जा सके. 

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