देवघरः
देश भर में शारदीय नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू हो गया है. देवघर में भी लोग मां दुर्गा की अराधना में जुटे हैं. आमतौर पर नवरात्रि की सप्तमी तिथि से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है, लेकिन महर्षि बालानंद आश्रम में मां के पूजा की अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है. देवघर के महर्षि बालानंद आश्रम में पहले दिन से ही मां दुर्गा की प्रतिमा बेदी पर स्थापित की जाती है.
देवघर के महर्षि बालानंद आश्रम में पहली पूजा यानि कलश स्थापना के दिन से ही मां दुर्गा बेदी पर विराजमान हो जाती हैं. यहां नवरात्र के पहले दिन से ही मां की प्रतिमा को बेदी पर स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है. यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है. साथ ही पूरे नवरात्र के दौरान हर दिन कन्या पूजन भी होता है. कन्या पूजन की परंपरा यहां अनोखी है.
पहली पूजा के दिन कुंवारी कन्या द्वारा हाथ में कलश लेकर मां की बेदी की परिक्रमा की जाती है. इसके बाद कलश की स्थापना होती है. नवरात्रि के पहले दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान कर, गाजे-बाजे के साथ मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू होती है. यह अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है.
खास बात यह है कि पहले दिन एक, दूसरे दिन दो फिर तीसरे दिन तीन और इसी तरह पूरे नौ दिनों में 45 कन्याओं की पूजा बालानंद आश्रम में होती है. इस तरह से मां दुर्गा की अराधना सिर्फ देवघर में ही देखी जाती है.
बालानंद आश्रम में चली आ रही इस पंरपरा की शुरूआत महर्षि बालानंद जी द्वारा सालों पहले की गयी थी. पूजा में 51 पंडितो द्वारा संकल्प लेकर वैष्णवी विधि-विधान से पूजा की जाती है. पहले दिन से लेकर पूरे नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा होती है. जिसमें कुंवारी कन्याओं की पूजन मां का स्वरूप मानकर किया जाता है.
इस अनोखे विधि-विधान से होने वाली नवरात्र की पूजा में शामिल होने के लिए देश के कई राज्यों से लोग यहां पहुंचते हैं.