रिपोर्टः गौतम मंडल
दुमकाः-
झारखंड की उपराजधानी दुमका में एक ऐसा गांव है, जहां न तो स्कूल है, न ही आंगनबाड़ी केन्द्र..इसके अलावा मुलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली सभी नदारद है. दिलचस्प बात यह है कि इस गांव में आज तक न तो कोई जनप्रतिनिधि पहुंचे हैं न ही अधिकारी.
दुमका जिले के मसलिया प्रखंड अंतर्गत कोलारकोंदा पंचायत का यह गांव लोपसापाड़ा है. लोपसापाड़ा गांव चर्चित मसानजोर डैम के काफी नजदीक है. लगभग चार-पांच किलोमीटर ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने के बाद गांव पहुंचा जाता है. गाँव भी काफी मनोरम जगह पर स्थित है. पहाड़ के सबसे ऊपर बसे इस गाँव में सरकारी सुविधा नगण्य है. गाँव में विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र न होने के कारण छोटे-छोटे बच्चों को लाभ नहीं मिल पाता है. लगभग चार साल बाद बच्चे बेहद जटिल रास्ते होते कई किमी की दूरी तय कर निकटवर्ती तालडंगाल स्कुल आते हैं. वह भी सप्ताह में एक या दो दिन. बरसात के मौसम में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. ऊंचाई के कारण बच्चों को स्कूल आने-जाने में काफी परेशानी होती है.
►क्या कहते हैं ग्रामीणः-
♦ग्रामीण रूपलाल टुडू ने बताया कि इस गांव में स्कूल तो दूर एक आंगनबाड़ी केन्द्र भी नहीं है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाना मुश्किल है. छोटे-छोटे बच्चों को किसी तरह का लाभ नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि यदि एक आंगनबाड़ी केन्द्र खुल जाए तो काफी मदद मिलेगी.
♦सनाधन मुर्मू ने बताया कि मतदान केंद्र हर बार दस किलोमीटर दूर भालका में बनाया जाता है जिससे परेशानी होती है. वोट देने के लिए दस किलोमीटर आना-जाना काफी दुश्वार है. पहाड़ के ऊपर रोजगार का कोई साधन नहीं है. ग्रामीण धान, मकई, बरबट्टी, लाहर, कु्रथी आदि की खेती कर गुजारा करते हैं. कभी-कभी लकड़ी बेचकर भरण-पोषण करते हैं.
♦ग्रामीण पीरू हेम्ब्रम ने कहा कि यदि कोई बीमार हुआ तो नीचे उतारने में तीन-चार घंटे लग जाते हैं. उसके बाद इलाज के लिए सिउड़ी या दुमका जाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
♦ग्रामीण गणपति टुडू ने कहा कि गांव तक बिजली पोल व तार लगाया गया है, लेकिन अभी तक कनेक्शन न होने के कारण बिजली का दर्शन नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि हमलोगों के कष्ट को देखने व सुनने वाला कोई नहीं है.