रिपोर्टः गौतम मंडल
देवघरः
देवघर जिले का इकलौता कोलयरी एसपी माइंस चितरा है. कुबेर के इस गढ़ में कहीं बदहाली है तो कहीं नियमो के साथ खिलवाड़. यहां मजदूरों के हित की बात करने के लिए यूनियन है, लेकिन मजदूरों के लिए व्यवस्था नहीं. वर्षों से नियम कानून को ठेंगा दिखाकर काम करना नियती बन चुका है. चितरा कोलयरी की इस धरती ने विधायक, स्पीकर और मंत्री तक दिए. फिर भी नहीं बदले यहां के रंग.
► चितरा कोलयरी में मजदूरों को कई महत्वपूर्ण सुविधाओं से परे रखा गया है. रोजाना हज़ारो मजदूर कोलयरी में काम करते है. ट्रकांे में कोयला लोड कर सैकड़ो मजदूर अपना परिवार पालते है. लेकिन इन्हें सुविधाओं के नाम पर झुनझुना थमाकर चुप करा दिया जाता है. शोषण यहां इस कदर हावी है कि मजदूर अपनी पीड़ा बताने तक डरते है ताकि उनका काम न छीन जाए. मजदूर यूनियन कई हैं लेकिन वो भी सिर्फ अपने काम के. सबसे बड़ी समस्या पहचान पत्र की है जो मजदुरों को नहीं दी गयी है. सुरक्षा के नाम पर दस्ताना, बुट, हेलमेट दिखते ही नहीं. दिलचस्प बात यह है कि कोलयरी मे अधिकतर मजदूरों का निबंधन तक नहीं है. मजदूरों को हेल्थ कार्ड भी नहीं दिया गया है. जिस वजह से ये सरकारी लाभ से वंचित रह रहे हैं.
► इसीएल की इस कोलयरी मे कोयला को चूरने के लिए दो सीएसपी क्रेशर है. एक तो क्रशर काफी ऊंचे स्थान पर स्थापित है, वही यहां प्रदुषण मानकों का अनुपालन नही किया जा रहा है. प्रदुषण इस कदर फैला है कि यहां से गुजरना मुश्किल है. डंपरों मे कोयला लोड कर मशीन मे चूर्ण के लिए जब कोयला डाला जाता है तो आसमान में दूर से ही गुबार दिख जाता है. प्रदुषण नियंत्रण के लिए किसी प्रकार का उपाय नहीं किया गया है. यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है. जिसे सभी नजरअंदाज कर चलते हैं.
► लाखों करोड़ों का आय देने वाला चितरा कोलयरी मे आॅटो सेक्शन लावारिस स्थिति में है. आटो सेक्शन मे डीजल पंप है. जो बदहाल है. एकमात्र डीजल पंप से कोलयरी के वाहनों मे रोजाना तेल भरा जाता है. पंप की हालत यह है कि रस्सी व पत्थर के सहारे टिका हुआ है. गर्मी व बारिश से बचाव के लिए शेड तक नहीं है. गंदगी की भरमार दिखती है. दो पंप मे मात्र एक ही चालू है. परिसर मे पेयजल की किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. आटो सेक्शन रूम की पहचान टुटी कुर्सी व टेबल है. अलमारी व रैक का अभाव है. भवन जर्जर है.
क्या कहते हैं मजदूर नेता-
मजदूर नेता पशुपति कोल ने कहा कि मजदुरों को किसी तरह की सुविधा चितरा कोलियरी में नहीं मिली है. सबसे जरूरी पहचान पत्र होता है. जो प्रबंधन द्वारा आज तक नहीं दिया गया है. इसके अलावे मजदुरों को अन्य सुविधाओं से वंचित रखा जाता है. उन्होंने कहा कि कोयला चूरने वाले क्रेशर मे पानी छिड़काव कभी नहीं किया जाता है. फैल रहे प्रदुषण को देख भी कभी मानकों की जांच तक नहीं होती है.