देवघरः
झारखंड राज्य में संवेदक की मनमानी चरम पर है. सरकार के तमाम आदेश और कार्रवाई के बावजूद संवेदक के कानों में जूं तक नहीं रेंगती. इन्हें तो बस सरकार के पैसे खुद के जेब में भरना आता है. जिसका खामियाज़ा सिर्फ और सिर्फ जनता भुगतती है.
देवघर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ने के लिए सड़क के जाल बिछाये जा रहे. जनता की सुविधा के लिए सरकार पानी की तरह पैसे बहा रही है. लेकिन गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण के बजाये राशि का बंदरबांट कर घटिया सड़क का निर्माण कराने से संवेदक बाज़ नहीं आ रहे हैं. जिसमें विभाग की लापरवाही भी शामिल है. तभी तो करोड़ों की लागत से बनी सड़क निर्माण के कुछ ही दिनों बाद टूट कर बिखरने लगी है.
राज्य सम्पोषित योजना के तहत देवघर में मथुरापुर मुख्य पथ से चपरिया तक साढ़े चार किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इस सड़क का निर्माण लगभग 2 करोड़ 95 लाख की लागत से कराया गया है. सड़क निर्माण कार्य पूरा हुए कुछ ही दिन हुए हैं. 30 जुन 2017 को सड़क बनकर तैयार हुआ है. डेढ़ माह में ही सड़क टूटकर बिखरने लगी है. जगह-जगह सड़क पर गिट्टी उखड़ कर बिखर रही है. जिससे लोगों को आवागमन में भी परेशानी होने लगी है. एक माह में जब सड़क की यह हालत है तो आगे क्या होगा, यह सोचकर ग्रामीण परेशान हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग और संवेदक की मिलीभगत से घटिया सड़क का निर्माण कर राशि की बंदरबांट कर ली गई है. वहीं, सड़क निर्माण मामले पर पूछे जाने पर आरईओ देवघर के कार्यपालक अभियंता ने जांच कर कार्रवाई की बात कही है.
लेकिन, सड़क के घटिया निर्माण मामले पर सवाल उठना लाज़मी है. 31 मार्च 2016 को सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 30 जुन 2017 को सड़क बनकर तैयार हुई. इस दौरान विभाग भी अपनी जिम्मेदारी भूल गया. अगर सख़्ती से पहले ही समय-समय पर गुणवत्ता की जांच होती तो आज़ ग्रामीण सरकार से इसकी जांच की मांग न करते.