देवघर/सारठः
देवघर जिले के सारठ प्रखंड के षिमला पंचायत में मनरेगा योजना में नियम को ताक़ पर रख बिचैलियों द्वारा जमकर लूट मचाये जा रहे हैं. जबकि इस मुद्दे को विद्यायक प्रतिनिधि रघुनंदन सिंह द्वारा कई बार प्रखंड की बैठक में उठाया भी गया है. लेकिन कार्रवाई होने के बजाये बिचैलियों का मनोबल हर दिन बढता ही जा रहा है.
डोभा निर्माण
क्या है पूरा मामला:
सारठ पंचायत के छनदवा गांव में चार लाख 94 हजार 744 रूपये की लागत से आठ लाभूकों के नाम से डोभा निर्माण की स्वीकृति मिली है. लेकिन सभी डोभा का निर्माण बिचैलिया द्वारा पालाजोरी प्रखंड के मांझी मेटरिया गांव के मजदूरों से कराया जा रहा है. बिचैलिया द्वारा एक-एक डोभा जिसका प्राक्कलन 61 हजार 843 रूपया है, उसे 24 हजार में बाहरी मजदूरों को ठेका में दे दिया है. वहीं फर्जी मजदूरों के नाम मिली भगत से पैसा निकासी किया जा रहा है. मजदूरों को कम पैसा मिलने से जैसे-तैसे डोभा का निर्माण कर दे रहे हैं.
क्या कहते हैं मजदूर:
डोभा निर्माण में लगे पालाजोरी प्रखंड के बिराजपूर पंचायत के मांझी मेटरिया के मजदूरों ने बताया कि उन्हें 24 हजार में 40 बाय 50 आकार के डोभा को ठेका में दिया है. तीन-तीन दिन में उन्हें नगद भुगतान किया जाता है. मजदूरों ने बताया कि अपने पंचायत में काम नहीं मिलने के कारण मजबूरी वश कम मजदूरी में ही काम करना पड़ रहा है.
क्या कहते है ग्रामीणः
छनदवा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आठ डोभा में से सात डोभा बिचैलिया द्वारा बनवाया जा रहा है. ग्रामीण मजदूर को डोभा निर्माण में काम देने के बजाये दूसरे प्रखंड के मजदूरों को ठेका पर डोभा निर्माण का काम दिया जाता है. वैसे मजदूर जिन्हें मनरेगा नियम के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. यही वजह है कि खाते से पैसे की भी निकासी कर ली जाती है.
ग्रामीण
सरकार डीबीटी स्स्टिम से मजदूरों के खाते में मजदूरी भुगतान को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. लेकिन सरकारी तंत्र के मिली भगत से बिचैलिया अपनी मर्जी से सारा काम कर रहे हैं. जिससे वास्तविक मजदूरों को सरकार का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं, रोजगार सेवक अब्दुल हनान से पुछने पर बताया कि कुछ गडबड़ी है जिसको सुधार किया जायेगा. प्रखंड की बीडीओ ने कहा कि षिकायत सामने आने पर जांच की जायेगी. अधिनियम की अनदेखी कर गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई होगी.