देवघर (आचार्य प्रमोद श्रृंगारी ) :
इस वर्ष सावन का महिना सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही समाप्त हो रहा है. यह दुर्लभ संयोग 17 वर्षो के बाद आया है. पहला सोमवार 10 जुलाई को है. इस दिन का विशेष महत्व इसलिय भी हो जाता है की इसी दिन शिववास पड़ रहा है. जिसे पार्थिव शिवलिंग के पूजन का उत्तम दिन के तौर पर माना जाता है, तथा श्रवण नक्षत्र का योग भी प्रदोष काल में है.
आचार्य प्रमोद श्रृंगारी
दूसरी सोमवारी 17 जुलाई को पड़ रहा है जो अष्टमी तिथि को है. यह सोमवार भी दो योग से युक्त है जो अति बलवान है. पहला योग शिववास का है तो दूसरा योग को भी दुर्लभ माना जाता है, जैसे हर तिथि का महत्व होता है वैसे ही अष्टमी होने के कारण इस तिथि के देवता स्वयं शिव होते है जो विशेष फलदायी होता है. इसलिए दूसरा सोमवार कई योगों को एक साथ लेकर आ रहा है और सभी फलदायी है.
तीसरी सोमवारी 24 जुलाई को है. यह सोमवार भी कई योगों से युक्त है. पहला योग सोमवार को अगर पुष्प नक्षत्र पड़े तो सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है. दूसरा योग सोमवार को अगर प्रतिपदा तिथि रहता है तो सीद्धियोग बनता है. तीसरा योग दिन में 1.41 के बाद शिववास भी पड़ रहा है.
चौथा सोमवार 31 जुलाई को पड़ रहा है. इसमें में भी पांच योग बन रहा है.
1 अष्टमी तिथि का स्वामी भगवान शिव है
2 दिन 11.20 के बाद शिववास भी पड़ रहा है
3 इस दिन स्वाति नक्षत्र है
पांचवा सोमवार 7 अगस्त को है. इस तिथि में रक्षा बंधन एवं श्रावणी उपाकर्म तथा चन्द्र ग्रहण का योग पड़ रहा है. इसमें भी बहुत उपयोग है.
1 पहला योग सोमवार को अगर चन्द्र ग्रहण पड़े तो चुडा मणि योग बनता है.
2 दूसरा योग श्रवण नक्षत्र युक्त सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग है जो शेष रात्रि तक है.
3 तीसरा योग सोमवार को पूर्णिमा का पड़ना अमृत योग है.
4 चौथा योग श्रवण नक्षत्र, श्रवण मास, सोमवार एवं पूर्ण तिथि का होना एवं चंद्र ग्रहण सभी शिव की पूजा में विशेष फलदायी है. इसमें भी रात्रि 10 बजकर 53 मिनट से रत्रि 11 बजे से 48 मिनट तक यानि 55 मिनट तक ग्रहण काल में शिव पंचाक्षरी मन्त्र का जाप विशेष फलदायी है.