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बंदरगाह निर्माण के खिलाफ विस्थापितो ने खोला मोर्चा


साहेबगंजः

झारखंड का साहेबगंज जिला कई मायने में ख़ास है. यह राज्य का एक मात्र ऐसा जिला है जहां गंगा बहती है. यह अकेला ऐसा जिला है जहां बंदरगाह का निर्माण हो रहा. बंदरगाह निर्माण को लेकर साहेबगंजवासियों में काफी खुशी तो है, लेकिन एक ऐसा हिस्सा भी है जो नाखुश है. जिसकी वजह हैरान करने वाली है. 
साहेबगंज जिला में तेज़ी से बंदरगाह का निर्माण हो रहा. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहेबगंज पहुंचकर समदा सकरीगली में बनने वाले बंदरगाह का शिलान्यास किया था. प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह बंदरगाह झारखंड के विकास में मिल का पत्थर साबित होगा. साहेबगंज के लोग भी विकास के क्षेत्र में अपनी भागीदारी निभाने के लिए बंदरगाह निर्माण में पूरी तरह सहयोग कर रहे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने कुछ लोगों को मायुस कर दिया है. 
बंदरगाह निर्माण का कार्य तो शुरू है, लेकिन बंदरगाह बनाने के लिए जिनकी ज़मीन ली गयी है. उन्होंने अब प्रशासन के चैखट पर सर पटकने शुरू कर दिये हैं.            प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों शिलान्यास के बाद ही बंदरगाह निर्माण कार्य तो शुरू हो गया. लेकिन भू-विस्थापितों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. 

विस्थापितों का आरोप है कि प्रशासन की लचर व्यवस्था से उन्हें अबतक मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है. उनका कहना है कि प्रशासन ने गलत सर्वे कर गलत रैयतों को मुआवज़ा, पूनर्वास सहित अन्य लाभ दे दिये गये हैं. ऐसे में अपने हक की मांग करने वह प्रशासन के दर पर पहुंच रहे,वरीय अधिकारियों से विस्थापितों ने जांच कर सही रैयतों को उचित मुआवजा और अन्य लाभ देने की मांग की है. 
पूरे मामले पर साहेबगंज जिला अपर समाहर्ता अनमोल सिंह ने कहा कि बंदरगाह निर्माण को लेकर भू-अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चूका है. विस्थापितों के पुनर्वास के लिए भी काम किया जा रहा है. लेकिन, जिस तरह की शिकायत मिल रही है, तो उसकी जांच करायी जायेगी और हर हाल में सही लाभुकों को ही सरकारी लाभ दिया जायेगा. 

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