देवघर (मनीष):
एक सोच समाज को बदल सकती है. एक सोच जिसमें मजदुर से लेकर अधिकारी तक लग जाते हैं. और समाज को एक ऐसा धरोहर दे जाते हैं, जो ना सिर्फ सुविधा के ख्याल से बड़ी बात है, बल्कि देश निर्माण में एक सहायक सिद्ध हो रहा है.
देवघर शहर के बीचोबीच डाॅ0 अम्बेडकर की याद में बनाया गया एक मकान जीर्ण-स्थिती में पहुंच गया था. अम्बेडकर चैक के पास जर्जर मकान देख देवघर के एक अधिकारी ने समाज को इस मकान के जरीये कुछ देने की सोची. फिर क्या था इस नेक सोच ने देवघर में एक क्रांति ला दिया. एसडीएम सुधीर गुप्ता की इस कल्पना को लोग सच करने में जुट गये. देवघर जिले के डीसी, एसपी, डाॅक्टर्स, इंजिनियर्स, सामाजिक कार्यकर्ता तो साथ आये ही साथ में ठेला, रिक्शा चलाने वाले मजदूर भी जुड़ गये. क्या आम क्या खास सभी ने मिलकर तीन महिने में ही इस जर्जर मकान को पुस्तकालय का रूप दे दिया.
अम्बेडकर पुस्तकालय:
जहां आज प्रतियोगिता और काॅलेज की सभी पुस्तकें मौजूद हैं. यहां ई-लाइब्रेरी की भी व्यवस्था है. देखते ही देखते अम्बेडकर पुस्तकालय में एक माह के दौरान हजार से ज्यादा बच्चे जुड़ गये. 15 घंटे तक सभी वर्ग के बच्चों के लिए लाइब्रेरी के दरवाज़े खुले हैं. आज यह पुस्तकालय न सिर्फ ख़ास बल्कि वैसे छात्रों के लिए मिल का पत्थर साबित हो रहा जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं.
कैसे तैयार हुआ पुस्तकालयः
समाज के लिए कुछ बेहतर करने की एसडीएम की सोच को ख़ास और आम सभी वर्ग ने मिलकर पुरा किया. इस लाइब्रेरी को तैयार करने में कई लोगों ने सहयोग किया. किसी ने दो रूपये दिये तो किसी ने 50.. किसी ने छात्रों की सुविधा के पंखा दे दिया तो किसी ने किताबों को संजो कर रखने के लिए अलमीरा. पढ़ायी करते समय प्यास खलल न बनें तो किसी ने पानी का बोतल ही दे दिया. ऐसे ना जाने कितने लोग हैं जिन्होंने इस नेक सोच को खुद की सोच समझी और अपने अपने हिसाब से सहयोग कर एक बेहतरीन पुस्तकालय का निर्माण कर दिया. इतना ही नहीं जितनी तेज़ी से बच्चों की भीड़ बढ़ रही हैं अब तो कई लोग इस पुस्तकालय के विस्तार के लिए आगे आ रहे हैं. अब तो लोग भवन की उपरी मंजिल बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
बच्चों को करते हैं मोटिवेटः
अम्बेडकर पुस्तकालय में न सिर्फ किताबों का भंडार है बल्कि यहां एक बेहतर माहौल देने की कोशिश की गयी है. यहां सिर्फ छात्र-छात्राएं ही नहीं बल्कि शहर के नामी-गिरामी डाॅक्टर्स, इंजियनियर्स और जिले के अधिकारी भी आते हैं. ये सभी अपना समय निकाल कर बच्चों के बीच अपना अनुभव बांटने पहुंचते हैं. छात्रों को करियर में बेहतर करने के टिप्स देते हैं. छात्र-छात्राओं को मोटिवेट करते हैं.
पुस्तकालय की खासियतः
अम्बेडकर पुस्तकालय को माॅडल पुस्तकालय के रूप में डेवलप किया गया है. यहां छात्र-छात्राओं के लिए सारी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां तक कि वैसी छात्राएं जो लड़कों के साथ नहीं बैठना चाहती या अकेले बैठ कर पढ़ना चाहती हैं तो उनके लिए भी अलग व्यवस्था की गयी है. एक केबिन बनाया गया है. जहां आराम से छात्राएं पुस्तकें पढ़ सकती हैं. ऐसे में छात्राएं बहुत खुश हैं.
पुस्तकालय से पैरेंट्स खुशः
पुस्तकालय में एक बेहतर माहौल दिया जा रहा है. जिससे छात्र-छात्राओं के मां-बाप बेझिझक बच्चों को लाइब्रेरी आने देते हैं. यहां बच्चे घर जैसे सिमित संसाधन में नहीं बल्कि अपने अनुसार पढ़ायी कर पाते हैं. कुछ पैसे में ही कई पुस्तकें यहां आसानी से उपलब्ध हो जाती है.
अम्बेडकर पुस्तकालय एक सोच का नतीजा है. यह पुस्तकालय संदेश देती है कि अगर इक्षा शक्ति हो तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है. और अगर समाज के हर तबके का साथ हो तो भविष्य संवारने के लिए समाज में क्रांति भी लाई जा सकती है.