नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में पारित ओबीसी संशोधन बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने गुरुवार को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके साथ ही यह बिल कानून का रूप ले चुका है।
इस मंजूरी के बाद राज्यों को भी अपनी ओबीसी सूची बनाने का अधिकार मिल गया है। इससे पहले यह विधेयक संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो चुका है।
संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन और राष्ट्रपति की मुहर के बाद राज्यों के पास ओबीसी वर्ग में अपनी जरूरतों के मुताबिक जातियों को अधिसूचित करने की शक्ति मिल गई।
ऐसे में अब महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, हरियाणा में जाट और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल किया जा सकता है। वैसे भी ये समुदाय (जातियां) लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि जाट, मराठा, पटेल आदि जातियों की आरक्षण की मांग को सुप्रीम कोर्ट खारिज करता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि केवल केंद्र को ये अधिकार है कि वह ओबीसी समुदाय से जुड़ी लिस्ट तैयार कर सके।
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही इस विधेयक को संसद में पेश किया गया था। जहां संविधान संशोधन विधेयक लाकर इसे कानूनी रूप दिया गया।
इन्हें भी पढ़ें:
- PAN-Aadhaar Link Alert: आयकर विभाग ने पैन-आधार लिंक की समय सीमा पर अलर्ट जारी किया
- Deoghar: अनियंत्रित बाइक से गिरकर तीन युवक घायल
- चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद PM Modi जाएंगे कन्याकुमारी, विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर करेंगे ध्यान
- Impact Of Cyclone Ramal : Mizoram में भारी बारिश के चलते खदान ढहने से 12 की मौत, कई लापता
- Bihar News : पटना में छात्र की हत्या के बाद बवाल, एक आरोपी गिरफ्तार, सड़कों पर उतरे लोग